जब तक आप अपने सपनों की पूर्ति के लिए जीवन जीते हैं, तब तक आप जवान हैं. ऐसा ही एक अनोखी कहानी आई है हुगली के कुछ बुजुर्गों की, जो नौकरी के लिए थे बेताब। कुछ यही हुआ पश्चिम बंगाल के कुछ बुजुर्गों के साथ जिन्हें उम्र के उस पड़ाव पर सरकारी नौकरी का ऑफर लेटर मिला, जब उन्हें जॉब की नहीं बल्कि रिटायरमेंट बेनिफिट्स की जरूरत है.
दरअसल हुगली के फुरफुरा शरीफ के रहने वाले तुषार बनर्जी को पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ प्राइमरी एजुकेशन से हाल में मिले ऑफर लेटर मिला. जिसमें उन्हें सरकारी स्कूल में टीचर के पद पर नियुक्त करने की जानकारी दी गई. अप्वाइंटमेंट लेटर मिलने के बाद वो खुश होने की बजाय स्तब्ध रह गए, क्योंकि उम्र के इस पड़ाव में शिक्षा विभाग ने उनके दिलोदिमाग पर लगा जख्म हरा कर दिया.
1980 के दशक में नौकरी प्राप्त करना कोई आसान कार्य नहीं था. हजारों लोगों ने नौकरी के लिए आवेदन किया, लेकिन कुछ को ही सफलता मिली. इसमें शामिल थे तुषार बनर्जी भी, जो 40 साल पहले नौकरी के लिए कटिबद्ध हुए थे। तुषार बनर्जी और सैकड़ों लोगों ने नौकरी के लिए आवेदन किया था, लेकिन उन्हें 1983 में अदालत जाना पड़ा। अदालती कार्रवाई के बाद, हुगली के शिक्षा विभाग ने 66 लोगों को नौकरी का ऑफर लेटर जारी किया। इस लिस्ट में तीन लोग अब इस दुनिया में नहीं है. बाकी लोगों का कहना है कि उन्हें ये पत्र नहीं बल्कि पेंशन और अन्य मदों का भुगतान मिलना चाहिए, जो उन सभी का वाजिब हक है.
इस मुद्दे पर हुगली जिला प्राथमिक शिक्षा बोर्ड की अध्यक्ष शिल्पा नंदी ने सफाई देते हुए कहा- ‘यह असहज करने वाली स्थिति इसलिए उत्पन्न हुई क्योंकि अदालती दस्तावेज में अभ्यर्थियों के नाम और पता लिखा था, उम्र नहीं लिखी थी. चूंकि कोलकाता हाईकोर्ट के दिसंबर 2023 के आदेश में लिखा है कि सभी को शिक्षक माना जाना चाहिए इसलिए हमें ये कार्रवाई पूरी करनी पड़ी. अदालत ने सभी को 2014 से शिक्षक माना जाने का आदेश दिया, इसलिए नियुक्ति पत्र भेजना जरूरी था.’
आपको बताते चलें कि जब ये लोग कोर्ट गए थे तब उनकी उम्र 30 से 36 वर्ष के बीच थी. अब कोई 71 साल का है तो कोई 76 साल का ऐसे में सब को इंतजार है कि कोर्ट के आदेश पर उन्हें जल्द से जल्द सभी आर्थिक हितलाभ मिलें जिसके वो हकदार थे.