चेन्नई: सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म व्हाट्सएप पर ‘थम्स अप’ (👍) इमोजी को किसी भी पोस्ट में उपयोग करना आपके लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है, इस पर हाल ही में मद्रास हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है। उन्होंने कहा है कि इस इमोजी को ‘ओके’ के रूप में माना जा सकता है, लेकिन यह नहीं सोचा जाना चाहिए कि इससे किसी भी अप्रिय सामग्री का समर्थन किया जाता है।
जस्टिस डी कृष्णकुमार और जस्टिस आर विजयकुमार द्वारा दिया गया यह फैसला दरअसल उनके एक मामले के संबंध में है, जिसमें एक रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के कॉन्स्टेबल को नौकरी से निकाल दिया गया था क्योंकि उसने एक हत्या की सूचना के बारे में व्हाट्सएप मैसेज में ‘थम्स अप’ इमोजी डाल दी थी।
उपरोक्त मामले में, कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि इस इमोजी का उपयोग हत्या के जश्न के रूप में नहीं किया जा सकता है, बल्कि यह केवल सूचना की पुष्टि करने के लिए हो सकता है। कोर्ट ने रेलवे सुरक्षा बल के उस कॉन्स्टेबल को फिर से पद पर बहाल करने का आदेश दिया है।
बता दें कि 2018 में एक असिस्टेंट कमांडेंट की हत्या से जुड़े एक व्हाट्सएप मैसेज पर RPF कॉन्स्टेबल नरेंद्र चौहान ने थम्स अप इमोजी पोस्ट की थी। इसे खराब आचरण मानते हुए RPF ने कॉन्स्टेबल को नौकरी से बर्खास्त कर दिया था। यह मैसेज ऑफिशियल व्हाट्सएप ग्रुप में साझा किया गया था। RPF ने चौहान को पद से बर्खास्त करते समय दलील दी थी कि चौहान द्वारा इमोजी शेयर करना अधिकारी के मर्डर का नैतिक समर्थन करना था। एक जांच के बाद चौहान को पद से हटा दिया गया था।
इसके खिलाफ चौहान ने 2021 में हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। पिछले साल हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने फैसला दिया था कि चौहान ने गलती से थम्स अप इमोजी पोस्ट कर दी थी। इसके साथ ही कोर्ट ने चौहान को फिर से पद पर बहाल करने का आदेश दिया था। इस फैसले के खिलाफ RPF ने डबल बेंच में अपील की थी। वहां से भी RPF को निराशा हाथ लगी है।