संजय कुमार
जमशेदपुर : देवों के देव महादेव का सर्वाधिक प्रिय मास सावन अभी चल रहा है। इस माह में भगवान भोले भंडारी की पूजा-अर्चना करने को लेकर हर सनातनी में जबरदस्त आस्था और उत्साह रहता है।
वैसे तो सनातन धर्म में आस्था रखने वाला हर आदमी सावन महीने में शिवजी की पूजा अर्चना करता है। या दर्शन का भी अभिलाषी रहता है।
लेकिन देखा यह भी जाता है कि अनेक सनातनी किसी मंदिर में न जाकर घर में भोले बाबा की तस्वीर की पूजा-अर्चना कर लेते हैं। शिवजी की फोटो की पूजा करना शास्त्र सम्मत भी है और धर्म सम्मत भी। लेकिन हमारा यहां आपसे एक निवेदन है। सावन में किसी भी शिव मंदिर में जाकर एक लोटा जल भगवान शिव को जरूर अर्पित करें। प्रत्येक दिन ऐसा करना आपके लिए हर दृष्टिïकोण से लाभकारी रहेगा। फिर भी यदि किन्हीं अपरिहार्य कारणों से आपका दैनिक शिव मंदिर जाना संभव नहीं हो रहा है तो सप्ताह में कम से कम एक दिन तो अवश्य जाएं। अगर वह दिन सोमवार होगा तो सोने पे सुहागा के समान होगा। क्योंकि सोमवार भगवान भोले शंकर का दिन माना जाता है।
कल दो अगस्त शुक्रवार को इस साल के सावन मास की शिवरात्रि है। हमारी आपसे विनती है कि सनातनी होने के नाते आप शिवरात्रि के दिन भगवान भोले को जलार्पण कीजिए। शिवरात्रि के दिन शिवजी को जल चढ़ाना बहुत ही महत्व रखता है और भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
शिव पुराण में बताया गया है कि सावन शिवरात्रि को भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने और उस दिन व्रत रखने से पूरे सावन महीने की पूजा का फल एक ही दिन में प्राप्त हो जाता है। भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद तो मिलता ही है।
फागुन मास की शिवरात्रि के बाद सबसे अधिक महत्व सावन की शिवरात्रि की ही है।
सावन की शिवरात्रि को भगवान शिव को आमतौर पर जलाभिषेक किया जाता है। इस दिन रूद्राभिषेक करने का बहुत ही महत्व है। ऐसी मान्यता है कि सावन की शिवरात्रि को रूद्राभिषेक करने से शीघ्र ही पूजा का लाभ मिल जाता है।
इस साल सावन शिवरात्रि पर सर्वार्थ सिद्घि योग का शुभ संयोग बना है। इस दिन भोले भंडारी की शरण में जाने से जीवन में खुशहाली के नए द्वार खुलते हैं। इस दिन भगवान शिव का लिंगाष्टïकम स्त्रोत का पाठ करें तो विशेष फायदा होता है।
अब आपको जानना चाहिए कि शिवलिंग पर जल चढ़ाने से मस्तिष्क को शीतलता मिलती है। इससे नकारात्मकता का भाव नष्टï होता है। शिव पुराण में बताया गया है कि भगवान शिव को प्रतिदिन जलार्पण करने से सुख-समृद्घि व धन-दौलत का आशीर्वाद मिलता है और अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिल जाती है।
भोले भंडारी को लेकर एक मान्यता है कि शिवजी जल चढ़ाने मात्र से प्रसन्न हो जाते हैं और भक्त की हर इच्छा को पूरा कर देते हैं।
शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, आक (एकवन) के फूल से लेकर कई तरह के सामग्रियों से अभिषेक किया जाता है। लेकिन यह भी कहा गया है कि अगर आपके पास फल-फूल व दूसरी सामग्री नहीं है तो आप सिर्फ जल से ही बाबा भोलेभंडारी का अभिषेक कर दें। इससे बाबा जल्द प्रसन्न हो जाते हैं।
तो आइए हम सभी सावन की सोमवारी को 2 अगस्त शुक्रवार को देवों के देव महादेव को जलार्पण करें। विधि-विधान से पूजा-अर्चना करें। भगवान भोलेनाथ की कृपा हम सब पर बरसेगी।
आपकी जानकारी के लिए इस साल यानि 2024 में सावन की शिवरात्रि (कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि) 2 अगस्त शुक्रवार को दोपहर 3.26 मिनट से प्रारंभ होगी और 3 अगस्त शनिवार को दोपहर 3.50 मिनट पर समाप्त होगी।
आपको यह भी बताना चाहेंगे कि मासिक शिवरात्रि की पूजा निशा काल में भी करने का विधान है। ऐसे में सावन शिवरात्रि का व्रत 2 अगस्त 2024 शुक्रवार को किया जाएगा।