श्री महाकाल आश्रम बागडीह

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टेलीविजन की दुनिया के सबसे सफल कार्यक्रमों में से एक कौन बनेगा करोड़पति में 7 दिसंबर 2012 को सदी के महानायक और कार्यक्रम के प्रस्तोता अमिताभ बच्चन ने सवाल पूछा था-उज्जैन के पास किस स्थान पर दुनिया का दूसरा श्रीमहाकाल मंदिर का निर्माण हो रहा है?

हॉट सीट पर बैठे व्यक्ति को इस सवाल का जवाब मालूम नहीं था। तब अमिताभ के इशारे के बाद कम्प्यूटर जी ने जवाब दिया-ओडिशा राज्य के झारसुगुड़ा जिले के बागडीह में हो रहा है श्रीमहाकाल मंदिर का निर्माण।
अब यह मंदिर बनकर पूरी तरह तैयार हो चुका है। अप्रैल 2014 में भव्य एवं विशाल नौ दिवसीय धार्मिक उत्सव में इस मंदिर में श्री महाकालेश्वर (भगवान शंकर) और शिव परिवार के अन्य सदस्यों की स्थापना हुई। साथ ही साथ अन्य देवी-देवताओं का प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम भी संपन्न हुआ। इस मंदिर का नाम रखा गया है श्री महाकालेश्वर हरिहर मंदिर।

श्री महाकाल आश्रम : इस नव स्थापित शिवधाम को श्री महाकाल आश्रम के नाम से जाना जाता है। हरे-भरे बागीचे और फूलों की बगिया के बीच स्थित है श्री महाकाल आश्रम। आश्रम में मां काली का अलग भव्य मंदिर है। मां काली के इस मंदिर के बारे में माना जाता है कि यहां मां काफी जाग्रत हैं और वे अपने भक्तों की हर मनोकामना को पूरा करती हैं। मान्यता यह भी है कि मां काली की कृपा से ही श्री महाकाल आश्रम अस्तित्व में आया और यहां महाकालेश्वर स्थापित हुए। मां काली मंदिर में मां दुर्गा, राणीसती दादी मां, हनुमानजी और भैरवजी की भी मूर्तियों को भव्य तरीके से स्थापित किया गया है।

श्री महाकालेश्वर हरिहर मंदिर : उज्जैन के विश्वप्रसिद्ध और ऐतिहासिक श्रीमहाकाल मंदिर की तर्ज पर ही बना है बागडीह के श्री महाकाल स्थित श्री महाकालेश्वर हरिहर मंदिर। 6600 वर्गफीट में बना यह मंदिर अतिविशाल और भव्य है। तीन मंजिलों वाले 108 फीट की ऊंचाई वाले गुंबद से युक्त इस मंदिर के भूतल पर अतिविशाल कक्ष में भगवान भोलेशंकर यानि श्रीमहाकालेश्वर स्थापित हैं।

मंदिर की कुल ऊंचाई 111 फीट है। भारत का शायद ही कोई दूसरा मंदिर होगा जहां भगवान शंकर का इतना बड़ा गर्भगृह होगा। यह गर्भगृह 27 फीट लंबा और 27 फीट चौड़ा है। इसी गर्भगृह में श्री गणेश, मां पार्वती, श्री कार्तिकेय, श्री भैरव और मां अन्नपूर्णा की भी मूर्तियां स्थापित हैं। श्री महाकालेश्वर मंदिर में स्थापित शिवलिंग अद्भुत है। शिवलिंग की जलेरी भी अपने तरह की अनोखी है। छह फीट लंबी और तीन फीट चौड़ी जलेरी का वजन दो टन है और यह एक ही ग्रेनाइट पत्थर से बनी है। छह टन के ग्रेनाइट पत्थर की तराशी कर दो टन वजन की जलेरी का निर्माण हैदराबाद में कराया गया था। रूद्राभिषेक समेत अन्य विधियों से महाकाल की पूजा के लिए गर्भगृह में सवोत्तम व्यवस्था है। मंदिर के ठीक सामने नंदी स्थापित हैं। उनका मनमोहक रूप सहज ही भक्तों को अपनी ओर खींचता है।

श्री गिरिराज मंदिर : प्रथम तल पर गिरिराज मंदिर है। यहां राधा-कृष्ण की मूर्ति स्थापित है। मंदिर में रंगीन शीशे की नक्काशी देखते ही बनती है। इसकी सजावट लाजवाब है। रौशनी में चमकीले शीशे काफी भव्य रूप में नजर आते हैं। राधा-कृष्ण की मूर्तियां भी अलौकिक हैं। सामने विशाल खुली छत है और परिक्रमा के लिए पर्याप्त जगह भी। यहां आने पर ऐसी अनुभूति होती है कि राधा-कृष्ण की चरणों में आदमी खड़ा है।

श्री नीलकंठ महादेव : मंदिर के अंतिम तल्ले पर श्री नीलकंठ महादेवजी स्थापित हैं। मंदिर के पिछले हिस्से में सीढ़ी बनी है। 108 सीढिय़ों को चढऩे के बाद श्री नीलकंठ महादेव के दर्शन होते हैं। यहां पर भी रूद्राभिषेक समेत अन्य तरह से देवों के देव महादेव की पूजा-अर्चना की व्यवस्था है। इस मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति भी स्थापित है।

पूजा की व्यवस्था : श्री महाकाल आश्रम बागडीह में भगवान शंकर समेत अन्य देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की बहुत ही अच्छी व्यवस्था है। काशी और उज्जैन में दीक्षित पंडित यहां भक्तों की सेवा के लिए उपलब्ध हैं। पूरे शास्त्रोक्त विधि-विधान के साथ हर देवी-देवता की पूजा-अर्चना कराई जाती है। पूजन सामग्री आश्रम में ही उपलब्ध है।

ठहरने का इंतजाम : श्री महाकाल की पूजा-अर्चना करने आने वाले भक्तों के लिए आश्रम में भी ठहरने का मुक्कमल इंतजाम है। आश्रम प्रबंधन की ओर से अभी आधुनिक सुविधाओं से लैस पांच बड़े वातानुकूलित कमरों का निर्माण हो चुका है। एक बड़े हॉल में भी भक्तों के ठहरने का इंतजाम रहता है। अन्य कमरों का निर्माण जारी है। वैसे बागडीह में धर्मशाला भी है और यहां से 26 किलोमीटर दूर स्थित झारसुगुड़ा शहर में हर श्रेणी के अनेक होटल हैं। धर्मशाीलाएं हैं और ठहरने के अन्य स्थान भी।

कैसे पहुंचे : श्री महाकाल आश्रम बागडीह तक सड़क या रेल मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। हावड़ा-मुंबई रेलमार्ग पर राउरकेला और झारसुगुड़ा के बीच में पड़ता है बागडीही स्टेशन। इसी स्टेशन से पश्चिम दिशा में करीब 100 मीटर की दूरी पर स्थित है श्री महाकाल आश्रम। स्टेशन पर से ही भव्य मंदिर के दर्शन होते हैं। वैसे राउरकेला या झारसुगुड़ा से सड़क मार्ग से बागडीह पहुंचा जा सकता है। बागडीह रेलवे स्टेशन पर जिन ट्रेनों का ठहराव नहीं होता है, वैसी टे्रनों के यात्री झारसुगुड़ा या बामड़ा में उतरकर बागडीह आ सकते हैं। यदि कोई हवाई मार्ग से यहां आना चाहता है तो निकटम हवाई अड्डा छत्तीसगढ़ के रायपुर में स्थित है। रायपुर से सड़क या रेलमार्ग से बागडीह पहुंचा जा सकता है।

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