चतरा के इटखोरी भद्रकाली मंदिर में गूंजने लगे दुर्गासप्तशती के मंत्रोच्चार, बहने लगी भक्ति की बयार

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चतरा, झारखंड। शारदीय नवरात्र का कलश स्थापित होने के साथ ही चतरा के ऐतिहासिक मां भद्रकाली मंदिर में नवरात्र का अलौकिक अनुष्ठान प्रारंभ हो गया है। नवरात्र के इस अनुष्ठान में मंदिर प्रबंधन समिति के साथ मंदिर के पुजारी और श्रद्धालु भी भागीदार बने हैं।

माता के इस पवित्र दरबार में दुर्गा सप्तशती श्लोक और पाठ के मंत्रोच्चार भी गुंजायमान होने लगे हैं। चहुंओर भक्ति की बयार बहने लगी है। नवरात्र के पहले दिन गुरुवार की अहले सुबह चार बजे मां भद्रकाली की शृंगार पूजा हुई। माता की प्रतिमा को मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री का रूप दिया गया। शृंगार पूजा के बाद घी के दीये व कपूर से मां भद्रकाली की महाआरती उतारी गई। इस दौरान मां भद्रकाली का दरबार माता रानी के जयकारे से गूंजता रहा। शृंगार पूजा में शामिल श्रद्धालुओं के रोम-रोम पुलकित हो उठे। उसके बाद धार्मिक विधान से मंदिर के गर्भ गृह में शुभ मुहूर्त पर शारदीय नवरात्र का कलश स्थापित किया गया।

नवरात्र का पहला कलश मंदिर प्रबंधन समिति ने स्थापित किया। मंदिर प्रबंधन समिति के वरिष्ठ सदस्य सीताराम सिंह तथा केयरटेकर नागेश्वर यादव ने मंदिर के पुजारियों की देखरेख में नवरात्र का कलश स्थापित किया। उसके बाद भक्तों ने मंदिर के प्रथम कच्छ एवं परिक्रमा बरामदे में नवरात्र का कलश स्थापित किया। कलश स्थापना के बाद नवरात्र के पहले दिन मंदिर परिसर में दुर्गा सप्तशती का पहला पाठ हुआ। नवरात्र के प्रथम दिन मंदिर में कलश स्थापित करने वाले भक्तों के अलावा दूरदराज के श्रद्धालु भी माता का दर्शन और पूजन करने के लिए मंदिर परिसर में पहुंचे। कई श्रद्धालु ढोल लेकर माता के दरबार में पधारे।

नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा के पूजा पंडालों में भी भक्ति भाव के साथ नवरात्र के कलश स्थापित किए गए। प्रखंड में नगर मोहल्ला के टाल पर, इटखोरी बाजार, परोका बगीचा, करनी चौक, पितीज व गुल्ली गांव तथा तुम्बी चौक के भी पूजा पंडालों में नवरात्र का कलश स्थापित हुआ। इसके अलावा सैकड़ों श्रद्धालुओं ने अपने घरों में भी मां दुर्गा की आराधना व उपासना के लिए नवरात्र का कलश स्थापित किया। इटखोरी भद्रकाली मंदिर में देशभर से साधकों का जुटान हुआ है, जो पूरे नौ दिन माता के अनुष्ठान में साधना में लीन रहेंगे। इसके अलावा चतरा के हंटरगंज स्थित मां कौलेश्वरी और पत्थलगड्डा के लेंबोइया माता मंदिर में भी आराधना आरंभ हो गई।

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