नवरात्रि में अकसर लोगों के मन मे सवाल उठता है कि नवरात्रि में नौ दिन ही क्यों होते हैं आज हम आपको इसी का रहस्य बताने जा रहे हैं।
1. मान्यता है कि नवरात्रि के नौ दिनों में प्रकृति में विशेष प्रकार का परिवर्तन होता है और ऐसे समय हमारी आंतरिक चेतना और शरीर में भी परिवर्तन होता है। प्रकृति और शरीर में स्थित शक्ति को समझने से ही शक्ति की आराधना का भी महत्व समझ में आता है।
2. यदि आप नवरात्रि के नौ दिनों अर्थात साल के 18 दिनों में अन्य चीजों का त्याग कर भक्ति करते हैं तो आपका शरीर और मन पूरे वर्ष स्वस्थ और निश्चिंत रहता है।
3. माता के 9 रूप है-
- शैलपुत्री
- ब्रह्मचारिणी
- चंद्रघंटा
- कुष्मांडा
- स्कंदमाता
- कात्यायनी
- कालरात्रि
- महागौरी
- सिद्धिदात्री।
इसीलिए नवरात्रि के 9 दिन होते हैं।
4. मान्यता के अनुसार माता वैष्णोदेवी ने नौ दिनों तक एक गुफा में साथना की थी और दसवें दिन भैरव बाहर निकलकर भैरवनाथ का सिर काट दिया था।
5. इसी प्रकार माता दुर्गा ने भी 9 दिन तक महिषासुर से युद्ध करके उसका वध कर दिया था और दसवें दिन इसी की याद में विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है।
6. अंकों में नौ पूर्ण अंक होते हैं। नौ के बाद कोई अंक नहीं होता है और बाद के सारे अंक इन्ही नौ अंकों से मिलकर बनते हैं।
7.आकाश में ग्रहों की संख्या भी 9 मानी गई है। इसी के मद्देनजर नावरात्रि में साधना के भी नौ दिन माने गए हैं, जो इन ग्रहों को समर्पित होते हैं।
8. मनुष्य के शरीर में सात चक्र होते हैं जिनके जागृत होने पर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। नवरात्रि के नौ दिनों में से 7 दिन तो चक्रों को जागृत करने की साधना की जाती है। 8वें दिन शक्ति को पूजा जाता है। नौंवा दिन शक्ति की सिद्धि का होता है। अगर सप्तचक्रों के अनुसार देखा जाए तो यह दिन कुंडलिनी जागरण का माना जाता है। इसीलिए इन नौ दिनों को माता के नौ रूपों से जोड़ा है।
9. कथा के अनुसार मां पार्वती, शिव जी से प्रश्न करती हैं कि “नवरात्र किसे कहते हैं!” शंकर उन्हें प्रेमपूर्वक समझाते हैं- नव शक्तिभि: संयुक्त नवरात्रं तदुच्यते, एकैक देव-देवेशि! नवधा परितिष्ठता। अर्थात् नवरात्र नवशक्तियों से संयुक्त है। इसकी प्रत्येक तिथि को एक-एक शक्ति के पूजन का विधान है।