जगत सृष्टि में रहे अमन

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प्रतिभा प्रभाती

नील गगन के नीले नभ में , सुंदर सी चिड़िया चहकी ।
प्रदूषण रहित धरा गगन हो , फिर उड़ने को मन बहकी ।।

चलो नमन वंदन कर लें , और प्रभाती यूँ जड़ दें ।
संस्कार भारती चरण वंदन की , जन गण मन में भर दें ।।

अंबर धरती चाँद सितारे , चमक रहें हों चमचम चम ।
मात तात और गुरुवर नेह , जीवन में हो कभी न कम ।।

प्रथम वंदना मात तात की , दूजे गुरुवर है नमन ।
सत्य सनातन समस्त चराचर , जगत सृष्टि में रहे अमन ।।

पटल के सारे मित्रों को , सहृदय करती हूँ नमन ।
कुछ भूल जो हो गई हो , मत करना मेरा दमन ।।

प्रतिभा प्रसाद कुमकुम



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