रांची : रामगढ़-हजारीबाग इलाके के प्रख्यात समाजसेवी राम अशीष ठाकुर नहीं रहे. उन्होंने रामगढ़ विकास कॉलोनी स्थित आवास पर दो फरवरी को अंतिम सांस ली. वे 90 वर्ष के थे. तीन फरवरी को उनका पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया. मुखाग्नि छोटे पुत्र अनिल कुमार ठाकुर ने दी.
राम अशीष बाबू के निधन की सूचना मिलते ही समाज के हर वर्ग के लोग उनके आवास पर पहुंचे औैर शोक संतप्त परिजनों को ढांढस बंधाया. हर कोई समाज के विकास में उनके योगदान की चर्चा करता मिला.
मूल रूप से बिहार से सीतामढ़ी इलाके के निवासी राम अशीष बाबू ने 1950 के दशक में जमशेदपुर में केजर कंपनी में नौकरी की. तब इंग्लैंड की केजर कंपनी टाटा स्टील को अपनी सेवाएं प्रदान कर रही थी.
कुछ साल तक केजर कंपनी में सेवा देने के बाद राम अशीष बाबू 1060 में जेनरल फोर मैन के पद पर एनसीडीसी में आ गए. रामगढ़-हजारीबाग समेत आसपास के इलाकों में उन्होंने एनसीडीसी को सेवा प्रदान की.
नौकरी से रिटायर करने के बाद उन्होंने समाज सेवा को अपने जीवन का मुख्य उद्देश्य बना लिया. रामगढ़ को निवास स्थान बनाते हुए वे कोयलांचल समेत कई दूसरे इलाकों में भी समाज की सेवा को सक्रिय रहे.
स्वर्णकार समाज के विकास पर उनका खास ध्यान रहा. शिक्षा के विकास पर उनका जोर रहता था. बच्चियों को आगे बढ़ाने में उनकी गहरी रुचि रहती थी. दूसरों को भी ऐसा ही करने के लिए वे प्रेरित किया करते थे.
बच्चों में संस्कार को मजबूत करने पर भी उनका खास ध्यान रहता था. यही कारण है कि उनके बड़े सुपुत्र कपिलदेव ठाकुर व छोटे पुत्र अनिल ठाकुर उनके दिए संस्कारों के बूते समाज सेवा को आगे बढ़ा रहे हैं.
कपिलदेव ठाकुर का कार्यक्षेत्र अभी रांची व आसपास का इलाका है. पिता राम अशीष ठाकुर से सिखाए रास्ते पर चलकर वे भी समाज सेवा को नया फलक प्रदान कर रहे हैं. कपिल देव बाबू अपने स्वर्णकार समाज के गरीब बच्चों की पढ़ाई लिखाई और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की बच्चियों की शादी कराने में विशेष दिलचस्पी रखते हैं. जो बुजुर्ग व्यक्ति पैसे के अभाव में तीर्थ स्थलों का भ्रमण करने में असमर्थ रहते हैं वैसे लोगों को तीर्थ यात्रा की सुविधा अपनी ओर से प्रदान करने की भरसक कोशिश करते हैं कपिल देव बाबू. आभूषण कारीगरों के साथ-साथ झारखंड के शिल्पी लोगों को विकास का समुचित अवसर प्रदान करने के लिए भी वह हमेशा तत्पर रहते हैं. सेवा का गुण उन्हें अपने पिता से विरासत में मिला है इसी तरह राम आशीष बाबू की तीन तीनों पुत्रियां भी समाज सेवा में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती हैं. यह राम आशीष बाबू के पुण्य प्रताप का ही प्रतिफल है कि गरीबों व जरूरतमंदों की हरसंभव मदद करना ठाकुर परिवार के संस्कारों का अंग बन गया है.
राम अशीष बाबू के निधन पर समाज के हर वर्ग के लोगों ने गहरा शोक जताया है. रामगढ़ आवास पर ही उनका श्राद्धकर्म आयोजित किया जा रहा है. 11 फरवरी को दशकर्म होगा. 13 फरवरी को ब्रह्मभोज का आयोजन किया जाएगा.
सनातन सिंधु परिवार ने भी रामाशीष ठाकुर के निधन पर गहरा शोक जताते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है.