महाशिवरात्रि एक मार्च को, जानिए क्या है इस पर्व का महत्य व क्यों निकाली जाती शिव बारात

Share this News

रानी अग्रवाल

सनातन पर्व- त्योहारों में महाशिवरात्रि को काफी प्रमुख स्थान प्राप्त है. यह भोलेभंडारी यानी शिवजी को सर्मिर्पत है. अघड़दानी को यह रात्रि
बहुत प्रिय है. यह हिंदू पंचांग के अंतिम मास यानी फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनायी जाती है. इस साल यानी 2022 में महाशिवरात्रि एक मार्च दिन मंगलवार को है. वैसे हर महीने में कृष्ण पक्ष में चतुर्दशी तिथि को शिव रात्रि का पर्व मनाया जाता है. इस वर्ष महाशिरात्रि के अवसर पर सनातन सिंधु के पाठकों के लिए विशेष सामग्री लेकर आई हैं रानी अग्रवाल. आज पढि़ए क्यों मनाई जाती महाशिवरात्रि और क्या है इससे जुड़ी ऐतिहासिक कहानियां.

शिव पुराण के ईशान संहिता में बताया गया है कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि में आदिदेव भगवान शिव करोडों सूर्यों के समान प्रभाव वाले लिंग रूप में प्रकट हुए.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि में चन्द्रमा सूर्य के समीप होता है. अत: इसी समय जीवन रूपी चन्द्रमा का शिवरूपी सूर्य के साथ योग मिलन होता है. अत: इस चतुर्दशी को शिवपूजा करने से जीव को अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है. यही शिवरात्रि का महत्व है. महाशिवरात्रि का पर्व परमात्मा शिव के दिव्य अवतरण का मंगल सूचक पर्व है. उनके निराकार से साकार रूप में अवतरण की रात्रि ही महाशिवरात्रि कहलाती है. भगवान शिव हमें काम, क्रोध, लोभ, मोह, मत्सर आदि विकारों से मुक्त करके परमसुख, शान्ति एवं ऐश्वर्य प्रदान करते हैं.
क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि
हमारे धर्मग्रंथों में महाशिवरात्रि को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं. हम अपने परिवार के बुजुर्गों से भी इस बारे में सुनते आए हैं.
ऐसी मान्यता है कि इसीदिन भगवान सदाशिव सबसे पहले शिवलिंग स्वरुप में प्रकट हुए थे. शिव पुराण में भी इसका वर्णन मिलता है.

शिव पुराण में यह भी बताया गया है कि इसी दिन भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग प्रकट हुए थे. इसीलिए इस दिन को शिवजी की पूजा के लिए बहुत खास माना जाता है.
महाशिवरात्रि को लेकर एक कथा यह भी हमलोग सुनते आए हैं. कथा यह है कि इसी दिन यानी महाशिवरात्रि को ही शिव और शक्ति का महामिलन हुआ था. यानी भगवान शंकर व माता पार्वती विवाह के बंधन में बंधे थे. इसीलिए महाशिवरात्रि के दिन शिव बारात निकालने की भी परंपरा का हमलोग निर्वहन करते हैं.
ऐसी मान्यता है कि इस दिन शिव और पार्वती का विवाह कराने से वैवाहिक जीवन की समस्याएं दूर होती हैं, दांपत्य जीवन खुशहाल होता है. वैसे भी पवित्र मन से भगवान शिवजी की पूजा करने से उनकी कृपा भक्तों पर बरसती ही है. इसमें किसी तरह का कोई संशय नहीं है.

रानी अग्रवाल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *