कपिलदेव ठाकुर/ धर्मेंद्र कुमार
रांची। देवरिया पीठाधीश्वर जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी राजनारायणाचार्य जी महाराज ने देश मे समान नागरिक संहिता लागू करने की पुरजोर वकालत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इसके लिए पहल करने का आग्रह किया है.
देवरिया से भक्त मिलन अभियान पर निकले स्वामी जी दिल्ली, वृंदावन होते हुए झारखंड की राजधानी रांची पहुँचे. हवाई अड्डे पर काफी संख्या में भक्त उनका स्वागत करने के लिए उपस्थित थे. रांची से जमशेदपुर, पुरुलिया, बराकर, बांकुड़ा व कोलकाता हुए देवरिया लौटने का उनका कार्यक्रम है.
अपने अति व्यस्त कार्यक्रमों के बीच स्वामी राजनारायणाचार्य जी महाराज ने सनातन सिंधु डॉट कॉम से बातचीत के लिए समय निकाला. देश, समाज, संस्कृति व धर्म समेत विभिन्न विषयों पर विस्तार से बातचीत हुई।
स्वामी जी ने कहा कि अभी देश के लिए सबसे बड़ी आवश्कयता समान नागरिक संहिता लागू करने की है क्योंकि इसी से देश का भला होगा, विकास होगा और भारत फिर से विश्व गुरु बन सकेगा.
स्वामी राजनारायणाचार्य जी महाराज ने कहा कि एक दिन पहले देश ने मानवाधिकार दिवस मनाया. समदर्शी सिद्धांतानुसार मानवाधिकार तो देश में एक सामान नागरिक संहिता होना है. जिस देश में एक सामान क़ानून व्यवस्था नहीं है,वहाँ पर ‘मानवाधिकार’ का औचित्य ही क्या है?
स्वामी जी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में देश विकास की राह पर है। लेकिन अभी भी देश के सामने कई समस्याएं है. समान नागरिक संहिता लागू होने से अनेक समस्यायों का समाधान हो जाएगा.
समान नागरिक संहिता से होने वाले फायदों के बारे में पूछे जाने पर स्वामीजी ने कहा कि पूरे देश मे समान नागरिक संहिता एक कानून सुनिश्चित करेगी. इसके लागू हो जाने पर सभी धार्मिक और आदिवासी समुदायों पर उनके व्यक्तिगत मामलों जैसे संपत्ति, विवाह, विरासत और गोद लेने आदि में एक कानून लागू होगा.
तो इसका मतलब यह है कि हिंदू विवाह अधिनियम (1955), हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (1956) और मुस्लिम व्यक्तिगत कानून आवेदन अधिनियम (1937) जैसे धर्म पर आधारित मौजूदा व्यक्तिगत कानून तकनीकी रूप से भंग हो जाएंगे? स्वामी जी ने कहा हां, ऐसा ही होगा.
एक प्रश्न के उत्तर में स्वामी जी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को दृढ़ता से पहल कर इसके लिए संविधान में संशोधन कराने के लिए आगे आना होगा.इसे राज्यो की सूची से बाहर निकलना होगा. यही समय की मांग और देश भी यही चाह रहा है.
झारखंड के संदर्भ में एक प्रश्न के उत्तर में स्वामी जी ने कहा कि आदिवासियों के विकास के लिए सभी सनातनियों को मन से लगना होगा. सुदूर गांव में जाकर काम करना होगा. धार्मिक व सामाजिक संगठनों को पहल बढ़ानी होगी. धर्मान्तरण रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने होंगे.
समाज मे बढ़ती आर्थिक विषमता व सनातन धर्म के मूल्यों से नई पीढ़ी को जोड़े रखने के उपाय के बारे में पूछे जाने पर स्वामी जी ने कहा कि हर किसी को दूसरों की मदद की भावना से काम करना होगा. बच्चों को अपने धर्म, विरासत व कर्म के बारे में लगातार बताते रहना चाहिए. सप्ताह में कम से कम एक दिन किसी भी मंदिर में स्वयं भी जाना चाहिए और बच्चों समेत परिवार के सदस्यों को जाने के लिए प्रेरित करना चाहिए. स्वामी जी ने कहा कि ऐसा करके ही सनातन का विकास कर भारत को मज़बूत करते हुए उसे विश्व गुरु बनाया जा सकता है.