नई दिल्ली: भारतीय जेलों के अंदर, आपूर्ति और जांच के दौरान अक्सर कैदियों के पास नशे के रूप में गांजा और मोबाइल फोन जैसी आपूर्ति होती है, चाहे वो यानी उनकी जेल में आकस्मिक जांच के दौरान मिले या फिर कोर्ट में पेश की गई हो। कुछ अन्य प्रतिबंधित आवश्यकता सामानों की चर्चा करते हैं, जैसे कि मोबाइल फोन के चार्जर, खैनी, सिगरेट, और अन्य अवैध आपूर्ति। इसके बारे में तरह-तरह की ज़िम्मेदार सरकारी अधिकारीगण और पुलिसकर्मियों को हमेशा कार्रवाई करनी होती है।
संसद में प्रस्तुत रिपोर्ट
संसदीय समिति की रिपोर्ट के अनुसार, गांजा और सेल फोन ये दो आपूर्तियाँ हैं, जिन्हें जेल में सबसे ज्यादा तस्करी की जाती है। ‘जेलों की स्थितियाँ, बुनियादी ढांचा और सुधार’ विषय पर समिति की 245वीं रिपोर्ट से यह पता चला है कि यह तथ्य विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सरकारों के साथ हुए संवाद के दौरान सामने आए हैं। इस रिपोर्ट का आलंब 18 सितंबर को संसद के विशेष सत्र के आखिरी दिन (राज्यसभा और लोकसभा) में प्रस्तुत किया गया था।
गुलेल से गांजा की सप्लाई
संसदीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ राज्य सरकारें ने गांजा को जेल में पहुंचाने के लिए गुलेल का उपयोग किया है, जिसे कैदियों को जेल के अंदर लाने के लिए आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाले प्रक्रियाओं में से एक माना जाता है।
जेल में अवैध तस्करी के मामले
रिपोर्ट के अनुसार, जेल में गांजा और सेल फोन का आपूर्ति बढ़ता हुआ आवेग होता है और इसके परिणामस्वरूप कैदियों के बाहर अपराधिक गतिविधियों को संचालित करने का खतरा बढ़ जाता है। समिति ने रिपोर्ट में कहा है कि जेल के अंदर सेल फोन का इस्तेमाल कैदियों द्वारा जेल के बाहर अपराधिक गतिविधियों को संचालित करने के लिए किया जाता है।
समिति के सुझाव
रिपोर्ट में, समिति ने जेल में प्रतिबंधित आपूर्ति की तस्करी को कम करने के लिए कैदियों की परिवार से मुलाकात करने और कोर्ट में पेशी के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का सुझाव दिया है। समिति ने यह भी पाया है कि जेल कर्मचारी कैदियों को प्रतिबंधित आपूर्ति पहुंचाने में मदद कर रहे हैं। प्रतिबंधित सामग्री से कैदियों के सुधार पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को ध्यान में रखते हुए, समिति ने राज्य की सभी जेलों में तलाशी मानकों को बढ़ाने की सिफारिश की।
नए तरीकों से हो रही तस्करी
जेलों में बढ़ती हुई अवैध तस्करी को रोकने के लिए, कुछ जेलों में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं जो कैदियों की गतिविधियों का पर्दाफ़ाश करते हैं। इससे बच्ची कुछ जेलों में सुर्खियों में आई हैं, विशेष रूप से तिहाड़ जेल जैसे स्थानों में, जहां अलग-अलग घटनाओं के साथ कई नए मामले सामने आए हैं।