कुछ विदेशी एनजीओ और एनिमल एक्टिविस्टों ने दावा किया है कि हर साल दुनिया भर में यौन वर्धक दवाओं के निर्माण के लिए लाखों गधों की मौत हो रही है. विशेष रूप से एक चीनी दवा की मांग को पूरा करने के लिए गधों की मास किलिंग की जा रही है. एक अनुमान के अनुसार, इस क्रूरता का परिणाम है कि हर साल लगभग 60 लाख गधों को बेवजह बेरहमी से मार दिया जाता है. रिपोर्ट के अनुसार, यह दवा की मांग के संतुलन को बनाए रखने के लिए हो रहा है.
इस दवा के व्यापार का मामला चीन में कई दशकों से चल रहा है. खासकर इसकी ग्लोबल मांग को बढ़ाने के बाद से, इसके लिए गधों की मास किलिंग की मात्रा भी बढ़ गई है.इस मेडिसिन को गधों की खाल से मिलने वाले जेलेटिन से बनाया जाता है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि जानवरों की खाल की कालाबजारी करने वाले जिस चीज के लिए इन गधों को बड़े पैमाने पर मार देते हैं, उसका नाम एजिआओ (Ejiao) है. जेलेटिन निकालने के लिए गधों की खाल को उबाला जाता है. फिर उससे पाउडर, गोली या फिर तरल दवा बनाई जाती है
चीन में इस दवा का दावा किया जाता है कि यह एक प्राचीन चीनी नुस्खा है जो सेहत के लिए लाभदायक है, और इसके सेवन से यौन दुर्बलता में सुधार होता है.
आपको बताते चलें कि बीते करीब एक दशक से गधों की तस्करी में तेजी आई है. पाकिस्तान में गधे लगभग खत्म होने के कगार पर है. बीते 10 सालों से पाकिस्तान ज्यादा कमाई के लालच में चीन को हर साल लाखों गधे भेज रहा है. पाकिस्तान में गधे लुप्त होने के कगार पर पहुंच गए हैं. इस अपराधिक कारोबार को रोकने के लिए ब्रिटेन में डंकी सैंक्चुअरी नाम की संस्था 2017 से इस कारोबार के खिलाफ अभियान चला रही है।
भारत में इस दवा की मांग और आपूर्ति के बारे में कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है, लेकिन एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में गधों की आबादी में 2010 से 2020 के दशक में 61.2% की कमी आई है।