बिहार, मुंगेर: पति की 700 रुपये की सैलरी से घर का चलाने की मुश्किल से जूझती एक महिला ने आज समृद्धि और सम्मान की ऊँचाइयों तक की अपनी यात्रा तय की है। सारिका सिंह, जो की अब पांच पेट्रोल पंपों की मालकिन हैं, बलिया गांव की मुखिया तक पहुँची हैं। इस कहानी में है संघर्ष, समर्पण और सच्चाई का परिचय।
सारिका सिंह शादी के बाद सोने की तरह तपकर निखरी और आज सैकड़ों परिवारों उनके जरिये चल रहे हैं. परंतु, इस तकदीर को बदलने का इरादा ने सारिका को पति के साथ मिलकर संघर्ष करने की शक्ति दी।
बिहार के मुंगेर की रहने वाली सारिका सिंह अपने आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत के दम पर दो बार बलिया पंचायत की मुखिया बन चुकी हैं. साल 1994 में सारिका सिंह की शादी मुंगेर निवासी ललन सिंह से हुई. शादी के समय उनके पति पटना में पेट्रोल पंप पर 700 रुपये महीने की नौकरी करते थे. उससे परिवार का खर्च भी पूरा नहीं हो पाता था.
12वीं पास सारिका परिवार की स्थिति के लिए हमेशा चिंतित रहती थीं. वह बताती हैं कि तीन बहनों वाले घर में पिता के यहां लड़कियों को पढ़ाने-लिखाने का चलन नहीं था. घर वालों के विरोध के बावजूद उन्होंने 1993 में इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की थी. अगले साल शादी होने के बाद उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. परिवार में नया सदस्य आने के बाद खर्च बढ़ गया और 700 रुपये में परिवार वालों का गुजारा करना मुश्किल हो जाता था.
1997 में एक अवसर ने उसकी जिंदगी में बदलाव लाने का दरवाजा खोला। केरोसिन डीलर के लिए आवेदन की घोषणा हुई, जो महिलाओं के लिए आरक्षित था। इसमें सारिका ने आत्म-समर्पण और आत्म-निर्भरता की भावना से आवेदन किया। पहली बार में वह आवेदन रद्द हो गया, लेकिन उसने हार नहीं मानी। 2003 में उसकी मेहनत और संघर्ष ने उसे सफलता दिलाई और वह एक पेट्रोल पंप की मालकिन बन गई।
सारिका सिंह बताती हैं कि 2007 में पेट्रोल पंप की वैकेंसी निकलने पर उन्होंने इसमें आवेदन का मन बनाया. लेकिन पैसे कम पड़ने पर उन्होंने जेवर गिरवी रखकर आवेदन के लिए चार लाख की रकम जुटाई. इसमें उनके भाई ने भी उनकी मदद की. किस्मत ऐसी पलटी कि पेट्रोल पंप सारिका सिंह के नाम पर आवंटित हो गया. इसके बाद उनकी ईमानदारी और व्यवहार के कारण आज वह पांच पेट्रोल पंप की मालकिन हैं.
इसके बाद उनकी आमदनी धीरे-धीरे बढ़ने लगी. साल 2016 के पंचायत चुनाव में बलिया पंचायत का मुखिया के लिए पद महिला के लिए आरक्षित हो गया. इसके बाद उन्होंने पटना से अपनी ससुराल आकर चुनाव लड़ा. यहां भी वह भारी मतों से विजयी हुईं.