देवघर, झारखंड। दशहरा की पंचमी तिथि अर्थात 11 अक्तूबर से बाबा बैद्यनाथ मंदिर परिसर स्थित महाकाल भैरव मंदिर व मां जगत जननी मंदिर के बरामदे पर तांत्रिक विधि से गवहर पूजा शुरू की जाएगी।
यह पूजा बाबा मंदिर की ओर से नहीं, बल्कि करीब 500 साल से अधिक समय से जमुई के खैरा और गिद्धौर इस्टेट की ओर से की जाती है। दोनों पूजा वहां के राजा की ओर से की जाती थी और वर्तमान में इस पूजा की परंपरा को बाबा मंदिर की ओर से की जाती है। दोनों मंदिरों को पूजा स्थल पर विधिवत तार के पत्ते से घेरा जाएगा। दोपहर को आचार्य श्रीनाथ पंडित, उपचारक भक्तिनाथ फलहारी एवं पुजारी चंदन झा की ओर से गवहर पूजा प्रारंभ कर अखंड दीप प्रज्वलित की जाएगी। इस अखंडदीप को देखने व विजयादशमी को पूजा संपन्न होने तक जसीडीह थाना क्षेत्र अंतर्गत कुशमील गांव के राजहंस परिवार दोनों मंदिरों में दिन-रात तैनात रहेंगे। इस परंपरा का निर्वहन करने के लिए ये परिवार राज परिवार के समय से ही लगे हैं।
वर्तमान में धनंजय राजहंस और भिखारी राजहंस के परिवार की ओर से पूजा को संपन्न किया जाएगा। पूजा का समापन विजयादशमी के अवसर पर जयंती बलि के बाद की जाएगी। बाबा मंदिर के उपचारक भक्तिनाथ फलहारी ने बताया कि जगत जननी मंदिर में खैरा इस्टेट व महाकाल भैरव के मंदिर में गिद्धौर इस्टेट की ओर से गवहर पूजा होती है। पूजा पूरी तरह से तांत्रिक विधि से की जाती है।