कौशल किशोर सिंह: धर्म व समाज सेवा के लिए सदा रहे समर्पित

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हिंदू पंचाग के अनुसार पितृ पक्ष का आज समापन होना है। मान्यता है कि आश्विन कृष्ण पक्ष में पितर लोग अपने लोक से पृथ्वी वोक पर आते हैं। इस दौरान उनके सम्मान में तर्पण-श्राद्ध किया जाता है।

सनातन सिंध परिवार पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष के अवसर पर कुछ ऐसी दिव्यात्माओं को आदर के साथ स्मरण कर रहा जिन्होंने अपने जीवन काल में सनातन धर्म व समाज की सेवा में उल्लेखनीय कार्य किये।

ऐसे महापुरूष हमेशा हम सबके के लिए प्रेरणास्त्रोत बने रहेंगे. उनका नश्वर शरीर भले ही हमारे बीच नहीं है लेकिन ये अपने विराट व्यक्तित्त व कृतित्व से हमेशा समाज को आलोकित करते रहेंगे. उन्हें सनातन सिंधु परिवार की ओर से कोटि-कोटि नमन व भावभीनी श्रद्धांजलि

सनातम धर्म को आगे बढ़ाने के लिए कुछ करने व समाज में किसी भी जरूरतमंद को मदद करने की बात आएगी तो जमशेदपुर-कोल्हान में ब्रह्मर्षि विकास मंच के संस्थापक कौशल किशोर सिंह जी (केके सिंह) , जिन्हें आदर-प्यार से लोग केके बाबू कहा करते थे, अवश्य याद आएंगे। वे आजीवन धर्म को आगे बढ़ाने व समाज की सेवा के लिए जो कुछ बन पड़ा उसका निर्वहन करते रहे। .

कहा भी गया है कि इस धरती पर वैसे ही इंसान के कर्मों को लोग याद करते हैं और संजोकर रखते हैं जो समाज के लिए खुद को न्योछावर कर देता है। केके बाबू एक ऐसे इंसान थे जो वास्तव में समाज के लिए ही बने थे। समाजसेवा में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना उनके जीवन का अभिन्न अंग बन गया था।

सही मायने में वे सच्चे कर्मवीर, पक्के धर्मवीर और बड़े समाजवीर थे। वे दूसरों की खुशी में अपनी खुशी ढूंढते थे और दूसरों के दर्द में अपने दुख की तलाश कर लेते थे। यही वजह थी कि व्यक्ति या संस्था को मदद करने में वे तनिक भी संकोच नहीं करते थे। जरा सी भी देर नहीं लगाते थे। जो बन पाया तत्काल मदद कर देते थे।

लेकिन उनके व्यक्तित्व की एक विशेषता यह भी थी कि किसी अपेक्षा या उम्मीद की कीमत पर सेवा या मदद नहीं करते थे। नेकी कर दरिया में डाल के नीति वाक्य पर चलते हुए वे अपने सामाजिक कार्यों को अंजाम देते थे। अपनी इसी विशिष्टता के चलते वे लोगों के दिलों में राज करते थे। वे समग्र समाज के गौरव थे।

बिहार के तत्कालीन छपरा जिले (अभी गोपालगंज) की विलक्षण माटी में 28 जून 1947 को पैदा हुए थे कौशल किशोर सिंह, जिन्हें जमशेदपुर-झारखंड ने प्यार से केके बाबू के नाम से जाना-पहचाना।

लौहनगरी के बिल्डर जगत को कारोबार की नई परिभाषा देने वाले केके सिंह समाजसेवा के क्षेत्र में भी उतनी ही सशक्त और व्यापक पहचान रखते थे। केके बिल्डर्स के प्रमोटर के रूप में उनके द्वारा मानगो डिमना रोड के राजीव पथ में बनाई गई अत्याधुनिक आवासीय कॉलोनी मून सिटी आज सैकड़ों लोगों के घर के सपनों को साकार कर अपनी विशिष्टï पहचान की खुशबू पूरे झारखंड में बिखेर रही है।

जमशेदपुर, कोल्हान और झारखंड के ढांचागत विकास में भी छपरा के लाल केके सिंह ने अपनी मेहनत और प्रतिभा का डंका बजाया। उनके द्वारा बनाए गये अनेक पुल और रोड झारखंड को विकास की राह पर दौड़ाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। सुदूर ग्रामीण इलाकों को पुल-पुलिया और सड़क से जोडऩे में केके सिंह का योगदान मिल का पत्थर बन चुका है।

सामाजिक जीवन में भी उनका योगदान असंख्य लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। योग गुरु बाबा रामदेव के पतंजलि योग पीठ की शाखा को जमशेदपुर में जमाने-बढ़ाने में इन्होंने निष्काम कर्मयोगी की भांति काम किया था।

भारत और भारतीयता के लिए काम करने वाली अनेक संस्थाओं को तन-मन-धन से सहयोग देकर उनके सेवा दायरे को विस्तार देने में आजीवन सक्रिय रहे थे.केके सिंह। ब्रह्मïर्षि विकास मंच की गतिविधियों से सर्व समाज को जोडऩे में भी एक सेतु के रूप में हमेशा सक्रिय रहे थे।

उनके व्यक्तित्व की एक विशेषता यह भी थी कि वे जिस संस्था और संगठन से जुड़ते थे बस उसी के होकर रह जाते थे। 4 जनवरी 2016 को दुनिया को छोड़कर वे उस अनंत यात्रा पर निकल गए जहां से लौटकर कोई नहीं आता।
लेकिन केके बाबू जैसी हस्ती के लिए ही फिराक गोरखपुरी ने लिखा है

ऐ मौत आ के खामोश कर गई तू
सदियों दिलों में हम गूंजते रहेंगे

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