विश्व गीता संस्थान के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाए गये गोविंद अग्रवाल दोदराजका

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चंद्रदेव राकेश
रांची : विश्व हिंदू परिषद का उपक्रम विश्व गीता संस्थान झारखंड में अपनी गतिविधियों को बढ़ाने पर खास ध्यान दे रहा। इसीलिए विश्व गीता संस्थान ने झारखंड के जाने माने समाजसेवी, साहित्यसेवी और धर्मसेवी गोविंद अग्रवाल (दोदराजका) को संगठन का वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया है।


झारखंड के सिंहभूम कोल्हान अंचल के चक्रधरपुर शहर में 15 अगस्त 1945 को एक कुलीन मारवाड़ी परिवारमें जन्मे गोविंद दोदराजका को सेवा का भाव विरासत में मिला।


छात्र जीवन से ही समाज और साहित्य सेवा में उनकी गहरी दिलचस्पी रही। धर्म सेवा पारिवारिक संस्कारों से मिली। 1960 के दशक में किशोरावस्था में ही उन्होंने साहित्य खासकर कविता में रूचि लेनी शुरू कर दी और राष्ट्रीय स्तर के कवियों से उनका जुड़ाव होने लगा।


कविता के प्रति दोदराजका के इस प्रेम से ही सिंहभूम की धरती पर राष्ट्रीय कवि सम्मेलन के आयोजन का सूत्रपात हुआ। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर, गोपाल सिंह नेपाली और बाबा नागार्जुन समेत उस जमाने के तमाम बड़े कवियों से गोविंद दोदराजका का व्यक्तिगत संबंध था।

इन्हीं कवियों के मार्गदर्शन में चक्रधरपुर शहर से इन्होंने राष्ट्रीय कवि सम्मेलन के आयोजन का जो सिलसिला शुरू किया वह पिछले करीब 5 दशक से अनवरत जारी है।


विश्व हिंदू परिषद ने पिछले दिनों हरिद्वार में आयोजित अपनी बैठक में विश्व गीता संस्थान के विस्तार का निर्णय लिया और इसी क्रम में संगठन के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में गोविंद अग्रवाल दोदराजका का मनोनयन किया गया। विहिप के केंद्रीय मंत्री आचार्य राधाकृष्ण मनोड़ी के नेतृत्व में यह संगठन अपने क्रियाकलापों को आगे बढ़ा रहा है।


अपने मनोनयन के बाद गीता के प्रचार-प्रसार को लेकर तैयारी में जुटे गोविंद अग्रवाल दोदराजका ने बताया कि संगठन की पहली प्राथमिकता श्रीमद्भागवत गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित कराने की है। इसे लेकर देश भर में जनजागरण अभियान चलाया जायेगा।

उन्होंने बताया कि संगठन के केंद्रीय नेतृत्व के स्तर से यह जानकारी दी गई है कि इस मांग को लेकर शीघ्र ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को ज्ञापन सौंपा जायेगा।


गोविंद दोदराजका ने बताया कि झारखंड के कोने-कोने में लोगों के बीच गीता को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जायेगा। इसके तहत कई तरह के कार्यक्रमों पर विचार-विमर्श चल रहा है। उन्होंने बताया कि जमशेदपुर या किसी अन्य जगह पर गीता महोत्सव कार्यक्रम आयोजित करने पर भी विचार चल रहा है।

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