झारखंड में सीने पर कलश रख मां दुर्गे की आराधना में लीन हैं बिहार के सिद्धू पांडेय

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नवरात्र को लेकर एक ओर जहां झारखंड के कोडरमा जिले में उत्साह का माहौल है, वहीं कई लोग मां दुर्गा की भक्ति में लीन हैं। नित्य दिन पूजा पंडालों में दुर्गा सप्तशती के पाठ व वैदिक मंत्रोच्चार से संपूर्ण क्षेत्र भक्तिमय है। इन सबके बीच मां दुर्गे के कुछ ऐसे भी भक्त हैं, जो अनोखे ढंग से मां की आराधना में लगे हैं। कोडरमा प्रखंड के चेचाई स्थित हनुमान मंदिर में इस बार अनोखे ढंग से अनुष्ठान किया जा रहा है। 32 वर्षीय सिद्धू पांडेय अपने सीने पर कलश स्थापित कर मां की आराधना कर रहे हैं।

कलश स्थापना के दिन विधिवत सिद्धू के सीने पर कलश की स्थापना की गई। सिद्धू बिना अन्न-जल ग्रहण किए मां की भक्ति में लीन हैं। सिद्धू के इस अनोखे अनुष्ठान को देखने के लिए दूरदराज से लोग आ रहे हैं। इस अनुष्ठान में परिवार के सदस्यों के साथ ही गांव के ग्रामीण भी सहयोग कर रहे हैं। सिद्धू बिना अन्न-जल ग्रहण किए नौ दिनों तक अनुष्ठान में रहेंगे। सिद्धू ने बताया कि वह बिहार के गया जिले के बरसावना गांव के रहने वाले हैं। पिछले चार वर्षों से चेचाई में किराए के मकान में अपने तीन बच्चों और पत्नी के साथ रह रहे हैं। पेशे से राज मिस्त्री सिद्धू पांडेय ने बताया कि पांच वर्ष पूर्व वह गया के मंगला गौरी गए थे। वहीं से नवरात्र में सीने पर कलश रख कर मां की आराधना करने की प्रेरणा मिली। तब से वे प्रत्येक वर्ष नवरात्र के मौके पर बिना अन्न-जल ग्रहण किए नौ दिनों तक सीने पर कलश रख कर नवरात्र करते आ रहे हैं।

सिद्धू ने बताया कि इस अनुष्ठान को पूरा करने के लिए गांव के सभी लोग आर्थिक व शारीरिक रूप से सहयोग कर रहे हैं। जब से वे इस तरह से नवरात्र कर रहे हैं, तब से उन्हें मानसिक शांति के साथ-साथ सुखद अनुभूति होती है। मां का सदैव आशीर्वाद बना रहता है। चेचाई निवासी बासु साव ने बताया कि वे 74 साल के हैं, लेकिन आज तक इस तरह का अनुष्ठान नहीं देखा है। सिद्धू के इस अनुष्ठान में गांव के सभी लोग सहयोग कर रहे हैं। सुबह-शाम अनुष्ठान स्थल पर भजन-कीर्तन किया जा रहा है।

वहीं सुजीत नायक, भागीरथ साव व महादेव पासवान ने बताया कि नवरात्र शुरू होने से पहले सिद्धू ने इस बारे में जानकारी देते हुए सहयोग मांगा था। इसके बाद गांव के सभी लोग बढ़-चढ़ कर मदद कर रहे हैं। अखंड ज्योति की देखभाल सिद्धू का पुत्र कर रहा है, जबकि पत्नी भी देखभाल में जुटी हैं।

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