देवोत्थान एकादशी : चार महीने के बाद शुरू हो रहे मांगलिक कार्य, समाज व बाजार में आएगी रौनक

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इंदौर-उज्जैन से शैलेश पांडेय

कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी जिसे देवोत्थान, देवउठनी या प्रबोधनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, इस साल 14 व 15 नवंबर को मनाई जा रही है। इसी के साथ अब करीब चार महीने के बाद मांगलिक कार्य भी शुरू होने जा रहे हैं। इसके साथ ही समाज व बाजार में रौनक लौट आने की आस जग गई है।

एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित
एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने का शयन काल पूरा करने के बाद जागते हैं। इस दिन से भगवान विष्णु सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं और इसी दिन से सभी तरह के मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाते हैं।


मान्यताओं के अनुसार एकादशी व्रत रखने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि एकादशी के दिन दान करना बहुत अच्छा होता है।

अगर हो सके तो एकादशी के दिन गंगा स्नान अवश्य करें। अगर विवाह करने में परेशानी आ रही है तो इन बाधाओं को दूर करने के लिए एकादशी के दिन केसर, केला और हल्दी का दान करना चाहिए। एकादशी का व्रत रखने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

एकादशी व्रत की करते शुरुआत
वे लोग जिन्होंने पहले एकादशी नहीं किया है। वह इसी एकादशी से शुरुआत करते हैं। कहा जाता है कि एकादशी व्रत का फल एक हजार अश्वमेघ यज्ञ और सौ राजसूय यज्ञ के बराबर होता है। इस व्रत को करने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं तथा जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है।

क्या अर्पित करना चाहिए भगवान विष्णु को
इस दिन ईख, अनार, केला, सिंघाड़ा आदि ऋतुफल भगवान विष्णु को अर्पण करना चाहिए। साथ ही चरणामृत ग्रहण जरूर करना चाहिए।
एकादशी पर किसी भी पेड़-पौधों की पत्तियों को नहीं तोडऩा चाहिए। एकादशी वाले दिन पर बाल और नाखून नहीं कटवाने चाहिए। संयम और सरल जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए।

मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की होगी पूजा
देवशयनी एकादशी के बाद से सभी शुभ कार्य बंद हो जाते हैं। जो की देवउठनी एकादशी पर ही आकर फिर से शुरू होते हैं। इन चार महीनों के दौरान ही दिवाली मनाई जाती है, जिसमें भगवान विष्णु के बिना ही मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

लेकिन देवउठनी एकादशी को भगवान विष्णुजी के जागने के बाद देवी-देवता भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की एक साथ पूजा करके देव दिवाली मनाते हैं। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से परिवार पर भगवान की विशेष कृपा बनी रहती है।

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