गिरिडीह। अध्यात्म की शक्ति का ही प्रभाव है कि 40 लाख का सालाना पैकेज भी रास नहीं आया। इसने सादा जीवन उच्च विचार की राह अपना ली।
जैन समाज के विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थली पार्श्वनाथ सम्मेद शिखर मधुबन के दिगंबर जैन तेरहपंथी कोठी में रविवार को भव्य जैनेश्वरी दीक्षा समारोह का आयोजन किया गया। समारोह का आयोजन बंगाल, बिहार और ओडिशा दिगंबर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी ने किया, जिसमें राज्यों के करीब 5 हजार से अधिक जैन भक्तों ने हिस्सा लिया।
जैन समाज के सबसे बड़े मुनि और उपासक आचार्य विशुद्ध सागर जी समेत कई पुरुष और महिला जैन मुनियों के सान्निध्य में इस भव्य दीक्षा समारोह का आयोजन किया गया। समारोह की सबसे बड़ी बात यह रही की मुनि श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के सान्निध्य में ही 40 लाख के पैकेज की नौकरी छोड़ कर दिल्ली आईआईटी स्टूडेंट अविरल जैन ने सांसारिक जीवन त्याग कर जैन मुनि बनने के मार्ग को चुना। रविवार को मुनिश्री से दीक्षा लिया।
आईआईटी स्टूडेंट के साथ ही चार और युवाओं ने भी आयोजन स्थल में दीक्षा हासिल की, जिसमें छत्तीसगढ़ के रायपुर निवासी ब्रजेश जैन, अंकुश भईया, महाराष्ट्र के संजय जैन और मध्य प्रदेश के उज्जैन के स्वत्तम भईया शामिल हैं। इस दौरान आयोजन स्थल में जहां हजारों की भीड़ लगी रही, वहीं दूसरी तरफ दीक्षा लेने वाले पांचों युवा मुनि के माता पिता भी समारोह में शामिल हुए।
जहां इनके माता पिता ने जैन मुनि विशुद्ध सागर जी को श्रीफल भेंट कर अपने अपने बेटों को दीक्षा देने की अपील की। इस दौरान मुनिश्री विशुद्ध सागर जी महाराज ने कहा की सिर्फ दीक्षा लेना ही काफी नहीं, बल्कि विश्व को शांति का मार्ग दिखाना भी मुनियों का कर्तव्य है।