प्रतिभा प्रसाद कुमकुम
कान्हा से नाता रखें,
राधा रानी ध्यान ।
केशव कर बंशी लिए,
देते सुर का ज्ञान ।।
मात तात की वंदना,
करते आठों याम ।
राधा रानी संग में,
हां रुक्मिणी है वाम।।
गिरधर की है योजना,
जगत रहे खुशहाल।
दूध दही हो घर भरा,
रहना मत बेहाल ।।
करतीं प्रभु की वंदना,
गुरू गुरुवर प्रणाम।
अरि परिजन पुनि मित्र को,
सदा मिलेगा नाम ।।
स्वीकृत हो मेरा नमन,
संग प्रभाती नाम।
कर कान्हा को जोड़ती,
नहीं कर्म विश्राम ।।