रांची/जमशेदपुर। सूर्य और छठी मईया की उपासना का महापर्व छठ 8 नवंबर को नहाय-खाय के साथ शुरू हो जायेगा। 9 नवंबर को खरना, 10 नवंबर को सायंकालीन अर्घ्य और 11 नवंबर को प्रात: कालीन अर्घ्य दिया जायेगा। मान्यता है कि छठ पूजा के चार दिनों के दौरान सूर्य और छठी माता की पूजा करने वाले लोगों की हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
पहला दिन-नहाय-खाय
छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय के साथ होती है। इसी दिन व्रती स्नान कर नए वस्त्र धारण करती हैं।
दूसरा दिन-खरना
छठ पर्व का दूसरा दिन खरना कहलाता है। पूरे दिन महिलाएं व्रत रखने के बाद शाम को भोजन करती हैं। खासतौर पर इस दिन गुड़ की खीर बनाई जाती है। इसके अलावा खीर को मिट्टी के चूल्हे पर बनाने की परंपरा है। खरना इस बार 9 नवंबर को पड़ रहा है।
तीसरा दिन–संध्या अर्घ्य
इस दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाया जाता है। प्रसाद तथा फल की टोकरी सजा कर व्रती इस दिन शाम के समय किसी तालाब या नदी के घाट पर जाती हैं। महिलाएं छठी मईया की पूजा-अर्चना करने के बाद पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं।
चौथा दिन–प्रात:कालीन अर्घ्य
छठ पूजा के चौथे दिन महिलाएं व्रत का पारण करती हैं। इस दिन महिलाएं सुबह के समय घाट पर जाकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करती हैं। इसी के साथ छठ पूजा का समापन होता है।