रांची। भारत के स्वाधीनता आंदोलन के अमर सेनानी भगवान बिरसा मुंडा के जन्म दिवस (15 नवंबर) सोमवार को जनजाती गौरव दिवस के रूप में मनाने का निश्चय विश्व हिन्दू परिषद ने किया है। यह जनजाती गौरव दिवस सभी जनजातीय जि़ला केंद्रों व प्रांत केंद्रों में मनाया जाएगा।
विहिप के महामंत्री मिलिंद परांडे ने एक बयान में यह जानकारी है। उनके बयान को झारखंड विहिप केप्रचार प्रसार प्रमुख संजय कुमार ने जारी किया है।
परांडे ने कहा है कि यह सर्वविदित है कि जनजातीय समाज कैसे संपूर्ण हिन्दू समाज का अभिन्न अंग अनादि काल से रहा है, मुग़लों के तथा यूरोपियन आक्रमणों के विरूद्ध संपूर्ण समाज के साथ मिलकर उसने कैसा स्वधर्म तथा स्वतंत्रता की रक्षा के लिये कैसा संघर्ष किया।
झारखंड में ब्रिटिशों के कुशासन के तथा ईसाई मिशनरियों के षड्यंत्रकारियों के विरूद्ध का भगवान बिरसा मुंडा जी का संघर्ष कौन नहीं जानता? झारखंड में ही स्वतंत्रता सेनानी सिद्धु तथा कान्हू, बुधा भगत के नेतृत्व हुआ संथाल समाज का संघर्ष हमारे देश का अमिट इतिहास है।
उन्होंने यह भी कहा कि रामायण एवं महाभारत काल से भक्ति, शक्ति एवं एकात्मता की मिसाल देशभर में तथा अपने-अपने प्रांतों में जनजातीय समाजने प्रस्तुत की है। उन्होंने आगे कहा है कि माता शबरी की भक्ति हम सबको अथाह प्रेरणा देती है।
मध्यप्रदेश में स्वतंत्रतासेनानी टंट्या भिल जी का कार्य तथा नाम प्रसिद्ध है। राजस्थान में राणा पुंजा भिल ने महाराणा प्रताप को हल्दीघाटी के युद्ध में तथा मुग़लों के विरूद्ध संघर्ष में साथ दिया। अल्लूरी सिताराम राजू के नेतृत्व में आंध्र प्रदेश में अत्याचारी ब्रिटिश सरकार के विरूद्ध भयानक संघर्ष किया गया था।
इसीतरह गोविंद देव गुरू जी के नेतृत्व में राजस्थान में भिल समाज द्वारा ब्रिटिश सरकार के विरूद्ध किया हुआ संघर्ष आज भी हमें प्रेरित करता है। दक्षिण ओडि़शा के स्वतंत्रता सेनानी लक्ष्मण नायकजी तथा क्रांतिकारक सुरेंद्र साईं जिन्होंने ब्रिटिशों के अत्याचारी शासनके विरूद्ध लड़ते हुए सर्वस्व बलिदान कर दिया।
असम में तिरथसिंह के नेतृत्व में खांसी समाज ने ब्रिटिशों के विरूद्ध संघर्ष किया। चक्र बिसोई और बादमें राधाकृष्ण के नेतृत्व में ओडि़सा में खोंड समाज ने प्रचंड संघर्ष ब्रिटिश सरकार के विरूद्ध किया।
विहिप नेता ने आगे कहा है कि इसी तरह नागालँड की रानी गाईडिंग्ल्यू ने स्वतंत्रता संग्राम का तेजस्वी नेतृत्व किया। महाकोशल की रानी दुर्गावती का मुग़लों के विरूद्ध का प्राणांतिक संघर्ष हर किसी को याद है। महाराष्ट्र में रामोशी जनजाति (जो मराठा सेना के अंग थे) का चित्तर सिंह ने नेतृत्व किया।
विहिप नेता के अनुसार कोरा माल्या तथा राजन अनंतय्या (जो स्वयं को राम का अवतार मानते थे) के नेतृत्व में ब्रिटिश राज के विरूद्ध दक्षिण भारत में किया गया संघर्ष ऐतिहासिक है। उन्होंने कहा कि ऐसे कितने ही पराक्रमी वीर और वीरांगनाओं ने मुस्लिम और ईसाई आक्रांताओं के विरूद्ध संपूर्ण समाज का साथ देकर स्वधर्म – स्वदेश की रक्षा – स्वतंत्रता के लिए भीषण संघर्ष किया तथा सर्वस्व बलिदान किया। इन युद्धों में एक-एक बार में हजारों राष्ट्रप्रेमियों का बलिदान हुआ। ऐसे कितने जनजातीय हिंदू वीर- वीरांगनाओं से हमारा इतिहास भरा पड़ा है।
श्रीरामजन्मभूमि मंदिर निर्माण के संपूर्ण प्रयास में जनजातीय समाज का योगदान पूर्ण देशभर में शेष हिन्दू समाज के साथ बहुत बड़ा है। इसीलिये अपने पूर्वजों के इस पराक्रम, देशभक्ति, धर्मनिष्ठा का गौरवपूर्ण स्मरण करने के लिए पूरे देश के में सभी जि़लों मे 15 नवंबर को जनजाती गौरव दिवस मनाया जाएगा।