केडी ठाकुर वरिष्ठ पत्रकार पटना
झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले की पवित्र धरती चाकुलिया में आदरणीय पुरुषोत्तम दास जी झुनझुनवाला (अब दिवंगत ) के सौजन्य से श्री पिंजरापोल सोसायटी कोलकाता शाखा की गौशाला का परिभ्रमण कर जमशेदपुर लौटने के क्रम में जादूगोड़ा में रामनाथ सिंह जी और उनकी धर्मपत्नी लालमति देवी जी (अब दोनों दिवंगत) मिलने का अवसर मिला था. जमशेदपुर में रहने वाले झारखंड के वरिष्ठतम पत्रकारों में से एक चंद्रदेव सिंह राकेश ने चाकुलिया यात्रा की व्यवस्था कराई थी. साथ में वे भी थे. जब हम लोग जादूगोड़ा चाय पीने के इरादे से रुकना चाहे तो राकेश जी ने ही कहा कि चलिए एक धर्म वाहक परिवार से आपको मिलवाते हैं. हम लोग उस रामनाथ सिंह जी के आवास पर पहुंचे. भारतीय परंपरा के अनुसार उन्होंने हमें अतिथि समझ कर समुचित आदर सत्कार किया और मान सम्मान भी दिया.
बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ. बदलते जमाने में लोगों की दिनचर्या, उनके मन मिजाज में बदलाव, नई पीढ़ी की सोच समेत विभिन्न पहलुओं पर बातचीत हुई. इस दौरान रामनाथ सिंह जी की धर्मपत्नी लालमति देवी जी की वही ड्राइंग रूम में बैठी थी.
आज रामनाथ सिंह जी और उनकी धर्मपत्नी लालमति देवी जी की बहुत याद आ रही है. वरिष्ठ पत्रकार राकेश जी से पता चला लालमति देवी जी भी अब इस दुनिया में नहीं रहीं. तभी से जेहन में उनका विराट व्यक्तित्व तैर रहा है
लालमति देवी जी एक धर्म परायण महिला थी. अपने पति रामनाथ जी सिंह के साथ उन्होंने जादूगोड़ा में सनातन संस्कारों को आगे बढ़ाया. प्रचार प्रसार से दूर रहकर वे धर्म और संस्कार को आगे बढ़ाने में जुटी रही. उनके पति जादूगोड़ा स्थित यूरेनियम कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड यानी यूसिल के स्टेट डिपार्टमेंट में अधिकारी थे. अपने कार्य के प्रति अटूट समर्पण और कर्मचारियों के प्रति प्रतिबद्धता की वजह से उन्होंने बहुत कुछ किया. कर सकते हैं कि जादूगोड़ा के विकास में रामनाथ बाबू का अहम योगदान रहा है. लालमति देवी जी भी उन्हीं के पद चिन्हों पर आजीवन चलती रहीं अपने बच्चों में ऐसे संस्कार विकसित किए कि सभी आज देश-विदेश के विभिन्न स्थानों में अति प्रतिष्ठित और सम्मानीय पदों पर सेवा प्रदान कर रहे हैं.
लालमति देवी जी का एक ही सिद्धांत था – बच्चों को अच्छा संस्कार दीजिए ताकि वे सनातन परंपरा को आगे बढ़ाते रहें. दूसरों की हमेशा मदद कीजिए. बिना कुछ अपेक्षा किए हुए. यदि आप किसी से कुछ अपेक्षा नहीं करेंगे और मदद कर दिया करेंगे तो जीवन में आपको हमेशा खुशहाली ही मिलेगी. अपेक्षा रखेंगे तब कष्ट होगा.
ईश्वर का आशीर्वाद देखिए कि लालमति देवी के चारों पुत्रों ने ऐसी व्यवस्था की कि लालमति देवी जी ने अपने जीवन का अंतिम समय मोक्ष नगरी काशी ( बनारस) में व्यतीत किए. उनकी इच्छा थी कि काशी में ही नश्वर शरीर को त्याग आ जाए. ईश्वर ने उनकी सुन ली.
पिछले अगस्त महीने में उन्होंने देह को त्यागा. बनारस के मणिकर्णिका घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया और उनकी इच्छा के अनुरूप उनकी कर्मस्थली रहे जादूगोड़ा में श्राद्ध कर्म की व्यवस्था उनके पुत्रों ने कराई.
गत 31 अगस्त को जादूगोड़ा में उनका श्राद्ध काम आयोजित हुआ. देश-विदेश में पदस्थापित उनके चारों पुत्र पूरे 13 दिन तक रह कर पूरे विधि-विधान और कर्मकांड के तहत श्राद्ध क्रम को संपन्न कराया. उनके पुत्र चंदेश्वर सिंह नई दिल्ली के साथ-साथ काठमांडू में भी रहते हैं. रामेश्वर सिंह भारतीय वायु सेना में है और अभी पुणे में पदस्थापित हैं. हरेश्वर सिंह ऑस्ट्रेलिया में है और कामेश्वर सिंह वाराणसी में है.
जिस श्रद्धा और विश्वास के साथ लालमति देवी जी का श्राद्ध क्रम आयोजित किया गया वह समाज के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण बन गया. ऐसा इसलिए कि आज के जमाने में महानगरों या विदेशों में रहने वाली नई पीढ़ी अपने माता-पिता समेत अन्य पूर्वजों के लिए समय नहीं निकाल पा रही. श्राद्ध कार्यक्रम को भी झटपट अंदाज में निपटाने में संकोच नहीं करती. श्राद्ध कर्म की समय अवधि को भी घटा रही . ऐसे में लालमति देवी जी के चारों पुत्रों ने अपने संस्कारों के तहत जिस परंपरा का बखूबी निर्वहन किया उसे देख न सिर्फ लोग प्रेरित हुए बल्कि यह कहने से भी संकोच नहीं किया कि रामनाथ सिंह जी और लालमति देवी ने बच्चों में जो संस्कार दिए , वैसे संस्कार हर किसी को अपने बच्चों को देने चाहिए.
काशी में अंतिम यात्रा पर निकली लालमति देवी जी का अंतिम संस्कार जादूगोड़ा में संपन्न हुआ. संस्कार कार्य स्वर्णरेखा नदी के तट पर और श्राद्ध पूजा घर पर आयोजित की गई इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोगों ने शामिल होकर प्रसाद ग्रहण किया और दिवंगत आत्मा को नमन किया.
हमारी ओर से भी लालमति देवी जी को भावभीनी श्रद्धांजलि और इस पुण्यात्मा को कोटि कोटि प्रणाम.
केडी ठाकुर वरिष्ठ पत्रकार बिहार