कुमार विश्वास के अपने-अपने राम कार्यक्रम का झारखंड मे हो सकता आयोजन, गोविंद दोदराजका को किया प्रेरित

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कुमार विश्वास के अपने-अपने राम कार्यक्रम का झारखंड मे हो सकता आयोजन, गोविंद दोदराजका को किया प्रेरित

चंद्रदेव सिंह राकेश

गोविंद अग्रवाल दोदराजका

कोलकाता : वैश्विक पहचान रखने वाले कवि, गीतकार व शायर कुमार विश्वास का कथावाचक अवतार कोलकाता समेत देश के कई शहर देख चुके हैं. इन शहरों में कुमार का चर्चित रामकथा कार्यक्रम अपने-अपने राम का आयोजन हो चुका है. इसी अगस्त महीने के अंतिम सप्ताह में पश्चिम बंगाल की राजधानी में हजारों लोगों ने तीन दिनों तक कुमार विश्वास से श्रीमुख से रामकथा के सागर में डुबकी लगाई. यदि ईश्वर ने चाहा तो झारखंड में भी कुमार विश्वास की रामकथा का आयोजन होगी. खुद कुमार विश्वास भी ऐसा ही चाहते हैं. उन्होंने कथा आयोजन स्थल के रूप में जमशेदपुर का नाम सुझाया है और इसके लिए कोल्हान की धरती को राष्ट्रीय कवि सम्मेलन से परिचय करानेवाले साहित्यसेवी, समाजसेवी, सनातन संस्कारों के वाहक व उद्यमी गोंिवंद अग्रवाल दोदराजका को प्रेरित किया है.
कुमार विश्वास से पुराने मित्र गोविंद दोदराजका भी उन हजारों लोगों में से एक थे जिन्हें कोलकाता के विश्व प्रसिद्घ नेताजी सुभाष इंडोर स्टेडियम में कुमार विश्वास का कथावाचक अवतार देखने का सुअवसर प्राप्त हुआ. वहां तीन दिनों तक अपने-अपने राम की लोकप्रिय श्रृंखला का वाचन किया. कुमार विश्वास की अपार लोकप्रियता के कारण अपने-अपने राम की रामकथा में लगभग 15 हजार श्रोताओं की तीन दिनों तक भीड़ जुटती रही. इस आयोजन में शामिल होने को लेकर लोगों के उत्साह का आलम यह था कि हर दिन दो से ढाई घंटे तक इन्होंने लाइन में लगकर रामकथा स्थल तक प्रवेश किया. इस तीन दिवसीय रामकथा में कुमार विश्वास ने श्रोताओं का ज्ञानवद्र्घन तो किया ही अपनी मनोरंजक शैली में मनोरंजन भी किया.
रामचरितमानस के अनेकों प्रसंगों का अपने ढंग से इन्होंने व्याख्यायित किया और राम के त्याग और चरित्र का ऐसा सजीव वर्णन किया कि सारे श्रोता अभिभूत हो गए. लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला व भरत की पत्नी मांडवी के बारे में कुमार विश्वास ने कई ऐसे नए प्रसंग उद्घाटित किए जिनसे हर श्रोता अनभिज्ञ है.
कुमार विश्वास ने बताया कि रामकथा का अगर नौ दिन भी वाचन किया जाए, मेरे द्वारा, तो जनता प्यासी ही रहेगी. लोगों को लगेगा कि कथा और चलनी चाहिए.
इस आयोजन में लायंस क्लब ऑफ काकुरगाछी द्वारा लगभग एक करोड़ रुपये से अधिक व्यय वहन किया गया और श्रोताओं को नि:शुल्क पास द्वारा कथा सुनने का सुख प्रदान किया गया.
गोविंद दोदराजका को कुमार विश्वास ने अपने होटल के कमरे में दो घंटे तक साथ रखा व पुरानी यादें ताजा की. रामकथा के मंच से भी उन्होंने घोषणा की कि मेरे पुराने मित्र गोविंद भाई झारखंड के जमशेदपुर से आकर अपने-अपने राम का आनंद ले रहे हैं. कुमार विश्वास ने इस आयोजन को जमशेदपुर में करवाने के लिए भी प्रेरित किया.
बताते चलें कि जब कुमार विश्वास कवि सम्मेलनों के लिए नया चेहता हुआ करते थे, तब गोविद दोदराजका ने उनकी प्रतिभा को पहचान लिया था और कुमार को कोल्हान की धरती पर राष्ट्रीय कवि के रूप में आमंत्रित किया था. गोविंद जी उन दिनों कुमार को कोल्हान समेत अन्य स्थानों पर भी लगातार प्रमोट करते रहे थे.
हालांकि अपनी प्रतिभा के बूते जब कुमार ने वैश्विक पहचान व प्रतिष्ठा हासिल कर ली तब भी वे गोविंद बाबू को शिद्दत से याद करते मिले. कोल्हान या झारखंड में जब भी कुमार विश्वास का कार्यक्रम होता है तो वे गोविंद भाई को सार्वजनिक मंच से अवश्य याद करते हैं.

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