जमशेदपुर में प्रजापिता ब्रह्मकुमारी की स्थापना में अहम भूमिका निभानेवाली बनारसी देवी जी भालोटिया नहीं रहीं, छोड़ गयीं संस्कारों की विरासत

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चंद्रदेव सिंह राकेश
जमशेदपुर : जुगसलाई निवासी धर्म परायणा, समाजसेवी व सनातन संस्कारों का आजीवन वाहक रहीं पुण्यात्मा बनारसी देवी जी भालोटिया के नहीं रहने की सूचना पर सहसा विश्वास ही नहीं हुआ. कारण? वे पूरी तरह स्वस्थ्य थीं. कोई रोग व्याधि नहीं. हमेशा की तरह हर रोज योग, पूजा-पाठ समेत सामाजिक-धार्मिक कार्यक्रमों को संपादित करती थीं. शारीरिक रूप से पूर्ण रूप से चुस्त दुरुस्त थीं. लेकिन 6 मई 2023 को अचानक निधन हो गयानियति हम सबसे इस 82 वर्षीय धर्म परायणा को हंसते -बोलते रहने की स्थिति में ही उस गोलोक में लेकर चली गयी जहां हर किसी को एक दिन जाना ही है लेकिन जाने के बाद इस भू लोक से किसी भी तरह से कोई संपर्क नहीं रखना है.
संयोग देखिए कि बनारसी देवी जी के सुपुत्र दीपक भालोटिया हमारे अजीज लोगों मेॅं से एक हैं. शायद यही कारण रहा कि कुछ साल पहले राजस्थान के माउंट आबू में एक मीडिया कार्यशाला में झारखंड का प्रतिनिधित्व करने के दौरान हमें पता चला था कि अपने शहर जमशेदपुर में प्रजापिता ब्रह्मकुमारी की स्थापना में बनारसी देवी भालोटिया की अहम भूमिका रही थी. तभी मन में जिज्ञासा उत्पन्न हुई थी कि जमशेदपुर लौटने पर बनारसी देवी जी से मुलाकात कर जानने का प्रयास करूंगा कि इस नेक काम को संपन्न कराने में उनको को कहां से प्रेरणा मिली थी?
जमशेदपुर लौटने पर उनसे मुलाकात हुई. उनको करीब से जाननेवाले कई लोगों से बात हुई. ब्रह्मकुमारी संस्था से जुड़े लोगों से भी उनके बारे में जाना.  बनारसी देवी जी के व्यक्तित्व का सबसे शानदार व मजबूत पहलू यह था कि वे संस्कारों से गहराई से जुड़ीं थी. हर हाल व हर काल में अपने सनातन संस्कारों को आगे बढ़ाने में लगी रहती थीं. ब्रह्मकुमारी संस्था के उद्देश्य व कार्य उन्हें काफी पसंद आ गए थे. वे इसे जीवन पद्धति में अपनाने की हिमायती थीं. वे जब समय मिलता था इस संस्था के मुख्यालय में जाकर समय बिताया करती थीं.
बनारसी देवी जी भालोटिया की संपष्ट मान्यता थी कि ईश्वर ने आपको जो कुछ दिया है, उसमें से समाज के लिए कुछ जरूर अर्पित कीजिए. जरूरी नहीं कि यह अर्पण धन के रूप में ही हो. तन व मन से भी यह अर्पण हो सकता है.
उन्होंने अपने बच्चों में भी इसी संस्कार को आगे बढ़ाया. उनके बड़े बेटे दीपक भालोटिया शहर के सार्वजनिक जीवन में खास पहचान रखते हैं. यह माता-पिता के पुण्य प्रताप का ही प्रतिफल है कि दीपक के अंदर भी धर्म व समाज सेवा की भावना मजबूती से भरी हुई है. दीपक
परसुडीह व्यापार मंडल के अध्यक्ष हैं.
धार्मिक एवं सामाजिक संस्था साई मानव सेवा ट्रस्ट, एआईएसएमजेडब्ल्यूए, जमशेदपुर चैंबर ऑफ कॉमर्स सहित दर्जनों समाजसेवी संस्थाओं से जुड़े हुए हैं. वे शिवसेना के टिकट पर जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से चुनाव भी लड़ चुके हैं. वहीं बनारसी देवी जी के अन्य बेटों संजय भालोटिया, राजू भालोटिया, श्रवण भालोटिया और मुरारी भालोटिया की भी समाज में अपनी खास पहचान है.
वैसे बनारसी देवी अपने पीछे 5 पुत्र, 2 पुत्री, 5 बहुएं,नाति-पोतों से भरा -पूरा परिवार छोड़ गयी हैं.

अंतिम यात्रा में दिखी लोकप्रियता
किसी ने ठीक ही कहा है कि मनुष्य के कर्मों के महत्व का आकलन उसकी अंतिम यात्रा से होती है. बनारसी देवी जी की अंतिम यात्रा में उमड़ा लोगों का हुजूम इस बात को तस्दीक कर रहा था कि वे कितनी लोकप्रिय थीं और उनके बेटों का का भी समाज से कितना गहरा जुड़ाव है.
उनके की अंतिम यात्रा में ब्रह्मकुमारी सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों के कई पदाधिकारी और सदस्य बड़ी संख्या में शामिल हुए. जब जुगसलाई आवास से अंतिम यात्रा निकली तो  मारवाडी़ सम्मेलन, सिहंभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स,जमशेदपुर चैंबर ऑफ कॉमर्स, शांति समिति, दुर्गा पूजा कमेटी,राजनीतिक दलों सहित विभिन्न संस्थाओं और विभिन्न समुदायों के लोग इसमें में शामिल हुए.
 16 मई तक बैठक, 18 को प्रसाद
बनारसी देवी को श्रद्धांजलि देने के लिए दीपक भालोटिया के आास पर 16 मई तक रोजाना दोपहर 3.00 से शाम 5.00 बजे तक बैठक होगी. वहीं 18 मई को एमई स्कूल रोड स्थित शिव मंदिर में दोपहर एक से तीन बजे तक प्रसाद का आयोजन किया जाएगा जबकि अपराहन 3.30 बजे मारवाडी़ समाज के रीति अनुसार टीका का कार्यक्रम आयोजित किया जाना है.

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