बिहार के जमुई जिले में हुई एक और दर्दनाक हत्या ने सवाल उठा दिए हैं कि क्या सामान्य नागरिकों की सुरक्षा में भरोसा किया जा सकता है। दरअसल, बिहार पुलिस के एक दारोगा को उसके कार्य क्षेत्र से बाहर निकालकर ट्रैक्टर से रौंद दिया गया। इस हमले में दो कॉन्स्टेबल घायल हो गए, लेकिन दरबदर की दुखद खबर है कि दारोगा प्रभात रंजन की मौत हो गई। यह तब हुआ जब वह अवैध बालू खनन को रोकने के लिए कार्रवाई कर रहे थे। इस घटना ने फिर से उठाया है कि क्या पुलिस अधिकारियों के लिए भी खतरा बढ़ गया है और क्या आम नागरिकों की सुरक्षा में भी आशंका है।
जमुई में हुई दारोगा की हत्या को लेकर कोई भी पुलिस पदाधिकारी अभी कुछ भी बोलने से इनकार कर रहे हैं. वहीं एसपी मामले का संज्ञान लेते हुए सदर अस्पताल पहुंचे हुए हैं और मामले की छानबीन कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि मृतक दारोगा प्रभात रंजन सालभर पहले गढ़ी थाना में पोस्टेड हुए थे. जानकारी के अनुसार, घटना सुबह 5:00 बजे की है, जब दारोगा प्रभात रंजन अवैध बालू खनन को रोकने के लिए रोपवेल की तरफ गए थे. वहीं, अवैध बालू कारोबारी के द्वारा ट्रैक्टर से दारोगा को जोरदार ठोकर मार दी गई, जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई.
दारोगा की हत्या के बाद सवाल
बिहार में बालू माफिया का चलता हुआ रैकेट नई बात नहीं है, और इस हमले ने एक बार फिर खतरे की घंटी बजा दी है। इसके बाद, कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
- क्या बिहार में बेलगाम हो गए हैं बालू माफिया?
- दारोगा को छोड़ा नहीं गया, तो आम जनता का क्या होगा?
- क्या माफियाओं का डर पुलिस के दिल से खत्म हो गया है?
- क्या माफियाओं को राजनीतिक संरक्षण मिला है?
- विपक्ष के निशाने पर आए नीतीश कुमार
इस घटना के बाद, विपक्ष ने नीतीश कुमार सरकार पर हमला बढ़ाया है। भारतीय जनता पार्टी ने इसे माफिया बेलगाम होने का आरोप लगाया है, जबकि जनता दल यूनाइटेड ने कहा है कि अपराधी जल्द ही गिरफ्तार होंगे। जमुई के सांसद चिराग पासवान ने भी नीतीश सरकार पर निशाना साधा है. चिराग ने एक्स (ट्विटर) पर लिखा, ‘मुख्यमंत्री जी , राज्य में बालू तस्करों का तांडव सिर चढ़ कर बोल रहा है. ऐसे में सवाल आपके नेतृत्व पर भी उठते हैं कि क्या ये सब आपके संरक्षण में हो रहा है? और नहीं तो अब तक कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाए गए. अवैध बालू खनन से कहीं नदी में डूबने से मौत हो रही है तो कहीं अनियंत्रित वाहन सुरक्षाबलों को कुचल रहे हैं. जरूरी है कोई ठोस कदम उठाकर बिहारियों की जान बचाई जाए.’
इस हत्या के पीछे की यह संघर्षणपूर्ण कहानी और बिहार की सुरक्षा में हुई इस बड़ी घटना ने फिर से यह सिद्ध किया है कि कैसे नीतीश कुमार सरकार को अपनी नजरों में बचाना होगा। बीजेपी ने इस पर विरोध जताते हुए कहा है कि बिहार में बढ़ते अपराधों का जिम्मेदार कौन है, और उन्होंने इसे नियंत्रित करने के लिए क्या कदम उठाए हैं?
दिवाली के दिन यूपी में हुई थी इंस्पेक्टर की हत्या
इसके पहले ही, दिवाली के दिन उत्तर प्रदेश में एक इंस्पेक्टर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना ने फिर से सवाल उठाए हैं कि क्या पुलिस अधिकारियों के लिए सुरक्षा की कमी है और क्या अपराधियों को मिल रहा है राजनीतिक संरक्षण?