खुद शेषनाग देते हैं इस प्राचीन झील में दर्शन, हैरान करने वाले हैं यहां के चमत्‍कार

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श्रीनगर: समुद्र तल से 11,870 फीट की ऊँचाई पर स्थित शेषनाग झील न केवल एक प्राचीन और पवित्र स्थल है, बल्कि यहाँ के चमत्कार आपको हैरान कर देंगे। इस झील की महत्वपूर्णता पर और इससे जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में जानकर यहाँ की अद्वितीयता को समझना महत्वपूर्ण है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने जब मां पार्वती को अमर कथा सुनाने के लिए अमरनाथ ले जा रहे थे, तो उन्होंने चाहा कि इस कथा का रहस्य किसी को ना पता चले, क्योंकि इसे सुनने वाला अमर हो जाता था। अमरनाथ जाते हुए भगवान शिव ने अनंत नागों (सांपों) को अनंतनाग में, बैल नंदी को पहलगाम में और चंद्रमा को चंदनवाड़ी में ही छोड़ दिया था। इनके अलावा, केवल शेषनाग ही भगवान शिव के साथ रहे, जो उनकी अज्ञात यात्रा का एक हिस्सा बन गए। भगवान शिव ने शेषनाग को आदेश दिया कि इस स्‍थान के आगे कोई ना आने पाए. तब शेषनाग ने खुद ही झील खोदी और यहां वास करने लगे.

झील की गहराईयों में छुपा रहस्य

शेषनाग ने खुद ही इस अद्वितीय झील को खोदा और यहाँ वास करना शुरू किया। आज भी मान्यता है कि शेषनाग इस झील में बसे हुए हैं और आपको यहाँ उनके दर्शन हो सकते हैं। यहाँ कई बार दिखाई गई है शेषनाग की आकृति, जो इस स्थान को और भी रहस्यमय बनाती है। इसके अलावा, इस झील में शेषनाग के दर्शन भी होते हैं, जिसे लोग अपने आप में एक अद्वितीय सांपराज्य का प्रतीक मानते हैं।

इस प्राचीन शेषनाग झील की गहराई 250 फीट तक है और यहाँ के स्थानीय निवासियों का कहना है कि शेषनाग आज भी इस झील में रहते हैं, जो इसे और भी रहस्यमयी बनाता है। यहाँ का तापमान इन दिनों -18 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है, और इस अद्वितीय झील को बर्फ से ढंका हुआ है। पर्वतमालाओं के बीच फैली नीले पानी की यह झील अपने सौंदर्य से बहुत लोगों को आकर्षित करती है, और सर्दियों के मौसम में यहाँ की गहराईयों में बर्फ जम जाती है, जिससे यहाँ का दृश्य और भी मज़ेदार हो जाता है। पर्वतमालाओं के बीच करीब डेढ़ किलोमीटर लंबाई में फैली नीले पानी की यह झील बेहद खूबसूरत दिखाई देती है. सर्दियों के मौसम में यह झील जम जाती है.

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