सुप्रीम कोर्ट की एक और धमाकेदार फटकार ने देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक SBI को चौंका दिया है, जब एक नई रिपोर्ट ने चुनावी बॉन्ड और ‘गुप्त दान’ के बारे में खुलासा किया। इस रिपोर्ट में उत्तर और पश्चिम से लेकर पूर्व और दक्षिण तक के सियासी दलों के दानदाताओं के नाम आए हैं, जिनसे चंदे लिए गए हैं।
कलियुग में दान का बड़ा महत्व है. आज भी भारत में गुप्त दान देने की परंपरा है. आपने भी बड़े-बूढ़ों से सुना होगा कि दान इस तरह से देना चाहिए कि दाहिने हाथ से दो तो बाएं को भी न पता चले. ये बातें कुछ लोगों ने सीरियसली ले लीं और उन्होंने राजनीतिक दलों को ऐसा दान दिया कि उसका पता लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक को दखल देना पड़ा.
सियासी दलों को ‘गुप्त दान’
रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर नई जानकारी अपलोड की जिसमें ये बताया गया है कि किस पार्टी ने किस कंपनी या व्यक्ति से कितना पैसा भुनाया है.
- बिहार – जेडीयू ने जानकारी देते हुए कहा कि उसे पार्टी दफ्तर में एक बंद लिफाफा मिला, जिसमें 10 करोड़ रुपए के बॉन्ड थे. जिले कोई छोड़ गया था. वो कौन था हम उसे नहीं जानते. हालांकि जेडीयू को कुल 24 करोड़ रुपये से ज्यादा के चुनावी बॉन्ड मिले थे. लेकिन हिसाब वो 10 करोड़ का ही दे पाए. वो भी ये कहकर कि कोई आया था और दरवाजे पर छोड़ गया.
- यूपी – कुछ ऐसी ही अजब-गजब कहानी समाजवादी पार्टी ने सुनाई. समाजवादी पार्टी की ओर से कहा गया था कि उसे बाई पोस्ट यानी डाक के जरिए 10 करोड़ के बॉन्ड मिले. लेकिन किसने भेजे, यह हमको पता नहीं है.
- बंगाल – टीएमसी ने भी कुछ ऐसी कहानी सुनाई. टीएमसी का कहना है कि दानदाताओं की पहचान विशिष्ट संख्या में चुनावी बांड की मदद से स्थापित की जा सकती है. जो भारतीय स्टेट बैंक द्वारा जारी किए गए थे.
- ओडिशा – ओडिशा की सत्तारूढ़ पार्टी बीजेडी को 944.5 करोड़ रुपये का चंदा मिला.
- तमिलनाडु – में डीएमके को कुल चंदे के 77% बॉन्ड एक ही कंपनी से मिले हैं. DMK को फ्यूचर गेमिंग कंपनी ने दिए 509 करोड़ दिए.
इस तरह के गुप्त दान की अनेक कहानियां हैं, जो नए उजागर हो रही हैं। इससे स्पष्ट है कि चंदे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की कड़ी कार्रवाई के बावजूद, यह चालाकी का खेल अभी भी जारी है।