दक्षिण अफ्रीका में अचानक हमलावरों ने संसदीय परिवहन मंत्री को गन प्वाइंट पर लूट किया। हाईवे पर मंत्री की गाड़ी रुकवाई और बदमाशों ने उन्हें लूट लिया गया। इस हमले के बाद लोग हैरान हैं। क्योंकि यह घटना न केवल उनके व्यक्तिगत सुरक्षा का सवाल उठाती है, बल्कि देश की सुरक्षा के स्तर पर भी सवाल उठा रही है। लोगों के डरने की वजह जायज भी है क्योंकि बदमाश मौके से चिकुंगा का लैपटॉप, फोन और उनके दोनों बॉडीगार्ड्स के हथियार भी अपने साथ ले गए.
मंत्री ने संसदीय समिति की बैठक में इस भयानक घटना का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि उनकी गाड़ी टायर फटने की वजह से रुकी थी जब अचानक हमलावर उनके पास आ गए। बंदूक़दम्बों में जब उन्हें लूटा गया, तब उनके साथी बॉडीगार्ड्स को भी गिराया गया। 6 नवंबर को तड़के हुई डकैती की इस वारदात के दौरान नकाबपोश हमलावरों में से एक ने उनके सिर पर बंदूक तान दी थी. उन्होंने बताया कि लुटेरे कार के पास आये और मेरे बॉडीगार्ड्स को फर्श पर गिरा दिया. फिर गाड़ी का दरवाजा खोलकर मेरे सिर पर बंदूक तानी और मुझे बाहर निकलने को कहा. फिर वो लैपटॉप, सभी के फोन और बॉडीगार्ड्स के हथियार भी छीनकर ले गए।
सुरक्षा में बदलाव की मांग
समीपवर्ती लोगों का कहना है कि जब तक भविष्य में ऐसी घटनाएँ नहीं रुकतीं, तब तक स्थानीय सरकार को सुरक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम उठाने की जरुरत है। इस घटना ने दिखाया कि देश की आंतरिक सुरक्षा के मामले में अब सरकार को सीरीयसली सोचने का समय आ गया है।
अवैध हथियारों से संपर्क
इस घटना के बाद से ही सरकार ने अवैध हथियारों के प्रयोग के खिलाफ सख्त कदम उठाने का वादा किया है। यह हमला दिखाता है कि दक्षिण अफ्रीका में छोटे हथियारों की तस्करी भी बड़ी समस्या बन गई है। इस मामले में कानूनी कार्रवाई की जरुरत है ताकि लोग अपनी सुरक्षा में पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो सकें।
आखिरी शब्द
यह घटना सिर्फ मंत्री की सुरक्षा के स्तर पर ही नहीं, बल्कि संदेश देती है कि देश के हर नागरिक को अपनी सुरक्षा के लिए सतर्क रहना होगा। सरकार को सुरक्षा के मामले में त्वरित कदम उठाने की जरुरत है ताकि देश की सुरक्षा न हो सिर्फ वादा, बल्कि वास्तविकता बने।
राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा की सरकार द्वारा कराए गए सालाना सर्वेक्षण में 13 लाख लोगों से लूट का खुलासा हुआ है. यानी सरकार ने माना है कि तीन फीसदी आबादी के साथ डकैती हुई है. दक्षिण अफ्रीका में छोटे हथियारों की तस्करी भी सरकार के लिए बड़ी चुनौती है. क्योंकि देश में करीब 66000 से अधिक दर्ज घरेलू डकैती की वारदातों में बंदूकों का इस्तेमाल किया गया.