अनादिकाल से मानवजाति गौमाता की सेवा कर अपने जीवन को सुखी, सम्रद्ध, निरोग, ऐश्वर्यवान एवं सौभाग्यशाली बनाती चली आ रही है. गौमाता की सेवा के माहात्म्य से शास्त्र भरे पड़े है।
गौ को घास खिलाना परम पुण्यदायी : तीर्थ स्थानों में जाकर स्नान दान से जो पुन्य प्राप्त होता है, ब्राह्मणों को भोजन कराने से जिस पुन्य की प्राप्ति होती है, सम्पूर्ण व्रत-उपवास, तपस्या, महादान तथा हरि की आराधना करने पर जो पुण्य प्राप्त होता है, संपूर्ण प्रथ्वी की परिक्रमा, सम्पूर्ण वेदों के पढऩे तथा समस्त यज्ञों के करने से मनुष्य जिस पुण्य को पाता है, वही पुण्य बुद्धिमान पुरुष गौ माता को ग्रास खिलाकर प्राप्त कर लेता है।
गौ सेवा से वरदान की प्राप्ति : जो पुरुष गौ की सेवा और सब प्रकार से उनका अनुगमन करता है, उस पर संतुष्ट होकर गौ माता उसे अत्यंत दुर्लभ वर प्रदान करती है।
गौ सेवा से मनोकामनाओ की पूर्ति : गौ की सेवा यानि गाय को चारा डालना, पानी पिलाना, गाय की पीठ सहलाना, रोगी गाय का ईलाज करवाना आदि करने वाले मनुष्य पुत्र, धन, विद्या, सुख आदि जिस-जिस वस्तु की इच्छा करता है, वे सब उसे प्राप्त हो जाती है, उसके लिए कोई भी वस्तु दुर्लभ नहीं होती।
भूमि दोष होते हैं समाप्त : गौ का समुदाय जहां बैठकर निर्भयतापूर्वक सांस लेता है, उस स्थान की शोभा को बढ़ा देता है और वहां के सारे पापों को खींच लेता है।
सबसे बड़ा तीर्थ गौ सेवा : देवराज इंद्र कहते है- गौ में सभी तीर्थ निवास करते है। जो मनुष्य गाय की पीठ स्पर्श करता है और उसकी पंूछ को नमस्कार करता है वह मानो तीर्थो में तीन दिनों तक उपवास पूर्वक रहकर स्नान कर लेता है।
कष्टों से मुक्ति: भवान विष्णु, एकादशी व्रत, गंगानदी, तुलसी, ब्रह्मण और गाय ये 6 इस दुर्गम संसार में सभी कष्टों से मुक्ति दिलाने वाले है।
मंगल होगा : जिसके घर बछड़े सहित एक भी गाय होती है, उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते है और उसका मंगल होता है। जिसके घर में एक भी गौ दूध देने वाले न हो उसका मंगल कैसे हो सकता है? और उसके अमंगल का नाश कैसे हो सकता है?
ऐसा न करें : गौ, ब्राह्मणों तथा रोगियों को जब कुछ दिया जाता है उस समय जो न देने की सलाह देते हैं वे मरकर प्रेत बनते हैं।
गोपूजा व विष्णु पूजा : भगवान् विष्णु देवराज इन्द्र से कहते हैं कि हे देवराज! जो मनुष्य अस्वस्थ वृक्ष और गौ की सदा पूजा-सेवा करता है, उसके द्वारा देवताओं, असुरो और मनुष्यों सहित संपूर्ण जगत की भी पूजा हो जाती है। उस रूप में उसके द्वारा की हुई पूजा को मैं यथार्थ रूप से अपनी पूजा मानकर ग्रहण करता हूं।
गोधूलि महान पापों की नाशक है : गायों के खुरों से उठी हुई धूलि, धान्यो की धूलि तथा पुट के शरीर में लगी धूलि अत्यंत पवित्र एवं महापापो का नाश करने वाली है।
चारों समान है : नित्य भागवत का पाठ करना, भगवान् का चिंतन, तुलसी को सींचना और गौ की सेवा करना – ये चारों समान है
दुर्लभ सिद्धियों की प्राप्ति: गौ के दर्शन, पूजन, नमस्कार, परिक्रमा, गाय को सहलाने, गौग्रास देने तथा जल पिलाने आदि सेवा के द्वारा मनुष्य दुर्लभ सिद्धियों की प्राप्त होती हैं।
मनोकामनाएं जल्द होती पूरी : गाय के शरीर में सभी देवी-देवता, ऋषि मुनि, गंगा आदि सभी नदियां तथा तीर्थ निवास करते है। इसीलिये गौसेवा से सभी की सेवा का फल मिल जाता है।
संजय कुमार
प्रवक्ता, विश्व हिंदू परिषद, झारखंड