हिंदू पंचाग के अनुसार पितृ पक्ष का आज समापन हो रहा है। मान्यता है कि आश्विन कृष्ण पक्ष में पितर लोग अपने लोक से पृथ्वी वोक पर आते हैं। इस दौरान उनके सम्मान में तर्पण-श्राद्ध किया जाता है।
सनातन सिंध परिवार पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष के अवसर पर कुछ ऐसी दिव्यात्माओं को आदर के साथ स्मरण कर रहा जिन्होंने अपने जीवन काल में सनातन धर्म व समाज की सेवा में उल्लेखनीय कार्य किये।
ऐसे महापुरूष हमेशा हम सबके के लिए प्रेरणास्त्रोत बने रहेंगे. उनका नश्वर शरीर भले ही हमारे बीच नहीं है लेकिन ये अपने विराट व्यक्तित्त व कृतित्व से हमेशा समाज को आलोकित करते रहेंगे. उन्हें सनातन सिंधु परिवार की ओर से कोटि-कोटि नमन व भावभीनी श्रद्धांजलि।
किसी कारोबार की साख आसानी से नहीं बनती। लंबी तपस्या के बाद यह मुकाम हासिल होता है और बहुत त्याग भी करना पड़ता है। संयोग से जमशेदपुर में स्टील और सोना को जो विश्वसनीयता प्राप्त हुई। उसमें गुजरात और गुजराती पृष्ठभूमि की अहम भूमिका है। उद्यमियों की धरती गुजरात की माटी यही सीख देती है कि अपने कारोबार में गुणवत्ता पर सबसे ज्यादा ध्यान दो। लाभ की चिंता किए बगैर ग्राहक बनाने पर ध्यान दो यदि ग्राहक बन जायेगा तो कारोबार चलेगा ही और कारोबार चलेगा तो पैसा आयेगा ही।
इसलिए गुणवत्ता और साख को बनाओ कारोबार बढ़ाने का सूत्र वाक्य। इसी सूत्र वाक्य को जीवन का आधार बनाया केशवजी छगनलाल आडेसरा ने। अपनी साख के बूते उन्होंने सोने को नई चमक दी। रत्नगर्भा धरती वाले झारखंड में गुजरात के इस साख से भी स्वर्ण-आभूषण कारोबार को विशिष्ट चमक मिली है। टाटा स्टील के संस्थापक जेएन टाटा गुजरात के ही निवासी थे। टाटा से ही प्रेरणा पाकर कई गुजराती परिवार जमशेदपुर आए थे। इनमें से कुछ ने स्वर्ण आभूषण कारोबार में अपना करियर बनाया।
ऐसे ही एक कारोबारी थे केशवजी छगनलाल आडेसरा। गुजरात के ध्रोल गांव के मूल निवासी केशवजी ने अपना आरंभिक कारोबारी जीवन एक कारीगर के रूप में शुरू किया था लेकिन मेहनत, लगन, ईमानदारी और दूरदर्शिता के बूत उन्होंने आज आभूषण कारोबार में केशवजी छगनलाल को एक ब्रांड के रूप में स्थापित कर दिया। उनकी तीसरी पीढ़ी के सदस्य इस कारोबार को बहुआयामी बनाने की ओर सफलतापूर्वक बढ़ रहे हैं।
केशवजी छगनलाल आडेसरा की विरासत को गिरधरलाल जी छगनलाल आडेसरा और वनमालीदास जी आडेसरा ने बखूबी आगे बढ़ाया। धर्म और समाज की सेवा के क्षेत्र में भी केशवजी छगनलाल आडेसरा परिवार बढ़-चढ़ कर भाग लेता रहा है। गुजराती सनातन समाज, नरभेराम हंसराज गुजराती स्कूल समेत कई संस्थाओं में विभिन्न पदों पर रहते हुए केशवजी छगनलाल ने समाज को अनेक तोहफे दिए। धार्मिक कार्यों में भी वे बढ़चढ़ कर भाग लेते थे। जिस तरह उनके परिवार का कारोबार तीन सौ वर्गफीट वाली पहली दुकान से बढ़कर अनेक भव्य शोरूम वाले एक समूह में तब्दील हो चुका है। उसी तरह धर्म समाज के लिए कुछ करने का दायरा भी दिन दुनी रात चौगुनी अंदाज में बढ़ रहा है।