मारवाड़ी युवा मंच की सुरभि शाखा की अध्यक्ष-सचिव से सनातन सिंधु के लिए मीना वर्मा की खास बातचीत
समाज सेवा के क्षेत्र में अपनी सतत सक्रियता के बूते मारवाड़ी युवा मंच की खास पहचान स्थापित हो चुकी है. जमशेदपुर में इसकी स्टील सिटी सुरभि शाखा ने पिछले कई वर्षों से जनहित में कई कार्यों को संपादित किया है. कोरोना काल में तो यह संगठन आम आदमी के लिए किसी देवदूत की तरह काम आया. सुरभि शाखा की तमाम पदाधिकारी व सदस्य अपनी शाखा अध्यक्ष मनीषा संघी व सचिव कविता अग्रवाल के मार्गदर्शन में सक्रिय रहीं. इस साल फरवरी महीने के हर दिन इस शाखा ने समाजसेवा के लिए कोई न कोई कार्यक्रम तय दिया है. इस 28 दिन 28 कार्यक्रम के क्रम में यातायात जागरुकता रैली निकाली गई. इसके जरिए समाज को सार्थक संदेश दिया गया कि दुर्घटना से देर भली का संदेश. मारवाड़ी युवा मंच स्टील सिटी सुरिभि शाखा की अध्यक्ष मनीषा संघी व सचिव कविता अग्रवाल से सनातन सिंधु के लिए मीना वर्मा ने विस्तार से बातचीत की. प्रस्तुत है संपादित अंश :
प्रश्न : इस यातायात जागरुकता अभियान की खाका कैसे बना?
मनीषा-कविता : हम समाजसेवा के क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहते हैं. इस क्रम में लोगों की समस्याओं पर खास तौर से गौर करते हैं ताकि उस अनुरूप उनकी सेवा की जा सके. मदद पहुंचाई जा सके. इसीलिए पिछले कुछ महीनों में हमने गौर किया कि जमशेदपुर व आसपास के इलाकों में सड़क हादसों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. इसीलिए इस जागरुकता अभियान को तय किया गया.
प्रश्न : इस अभियान की पंच लाइन दुर्घटना से देर भली कैसे दिमाग में आई?
मनीषा-कविता : आपका भी ध्यान इस ओर जरूर गया होगा. आज के समय में किसी के पास समय नहीं रहता. सभी लोग जल्दी में दिखते हैं. यह जल्दी जीवन के हर अंग में दिखाई देती है. वाहन चलाना भी इससे शामिल है.
प्रश्न : इस जल्दबाजी का साइड इफेक्ट किया है?
मनीषा – कविता : आपने खुद महसूस किया होगा. जहां तक बात सड़कों पर वाहन चलानें में जल्दबाजी करने की तो यह बेहद खतरनाक होता है. अधिकांश सड़क दुर्घटनाएं जल्दी के चक्कर में ही होती है. हम याद दिलाना चाहेंगे कि जान है तो जहान है. यह बात आज के दौर में सड़क पर यात्रा करने के दौरान सौ फीसदी सटीक बैठती है क्योंकि जमशेदपुर समेत राज्य-देश के अन्य हिस्सों में सड़क हादसों के पीछे एक बड़ा कारण लोगों का जल्दी में रहना होता है.
प्रश्न : तो क्या यह माना जाए कि अधिकांश लोग सड़क हादसों को खुद आमंत्रण देते हैं?
मनीषा-कविता : बिल्कुल, आप देखिए ना. सड़कों पर वाहन खासकर दोपहिए चलाने के दौरान लोग क्या करते है? स्पीड बेहद बढ़ा देते हैं. हेलमेट नहीं पहनते हैं. रांग साइड से भी चलने से पहरेज नहीं करते. ओवरटेक करना की प्रवृत्ति भी दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है. यातायात नियमों को तो लोग किताब की शोभा मान चुके हैं. इसी तरह चार पहिया चलाते समय सीट बेल्ट बांधना अपनी शान से खिलाफ मानते हैं. स्वाभाविक रूप से इन कारणों से हादसे होते ही रहते हैं.
प्रश्न : स्कूटी रैली निकालने के पीछे क्या मकसद रहा?
मनीषा-कविता : यातायात नियमों को लेकर लोगों को जागरूक करना.
प्रश्न : इस पवित्र काम को कैसे अंजाम दिया गया?
मनीषा-कविता : रैली के दौरान आम लोगो को यह समझाने का प्रयास किया गया कि दुर्घटना से देर भली, यानि कि थोड़ी देर भले ही हो जाए लेकिन संयम बरत एवं नियमों का पालन करते हुए ही गाड़ी चलायें.
प्रश्न : इस रैली की खास विशेषता क्या रही?
मनीषा-कविता : उम्मीद के ज्यादा रेस्पांस मिला. हमारी पहल पर लोगों ने गौर किया. 8 स्कूटी पर 16 सदस्यों द्वारा जागरुकता का संदेश दिया गया. लोगों ने हमारे उद्देश्य को समझा. उन्हें लगा कि यह कवायद आम लोगों के हित में है. रैली के संदेश पर अमल किया जाना चाहिए.
प्रश्न : रैली में जागरुकता के अतिरिक्त क्या रहा?
मनीषा-कविता : हमने सिर्फ सड़क हादसों के कारणों को लेकर ही आगाह नहीं किया बल्कि यह भी बताया कि सड़क हादसों के बाद घायलों के लिए क्या काम करने चाहिए? घायलों को किस तरह से मदद पहुंचाई जा सकती है? हमने यह भी बताया कि सड़क हादसों के कैसे बचा जा सकता है. हमने लोगों को बताया कि देश में अधिकतर सड़क हादसों में घायल लोग प्राथमिक उपचार की जानकारी के अभाव में घटनास्थल पर ही दम तोड़ देते हैं. इसलिए जरूरी है कि हर वाहन चालक या उसपर बैठनेवाले दूसरे लोग न सिर्फ यातायात नियमों को भलीभांति जानें बल्कि उन्हें यह भी जानकारी रहे कि हादसे के समय मेडिकल मदद कैसे ली जा सकती है?
प्रश्न : आम लोगों से आपकी क्या अपेक्षाएं हैं?
मनीषा-कविता : इस रैली के जरिए हमारी टीम की महिलाओं ने जनता को जो संदेश दिए उनपर अमल करना चाहिए. दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित किया जाना चाहिए. यातायात नियमों का अक्षरस: पालन किया जाए. अगर सभी लोगों ने इसकी शुरुआत कर दी तो सड़क हादसों की संख्या तेजी कम होने लगेगी.हाल के दिनों में शहर व आसपास के इलाकों में सड़क हादसों के काफी इजाफा हुआ है. चांडिल समेत एनएच 33 के दूसरे इलाकों के अलावा शहर में साकची स्वर्णरेखा घाट के पास हाथी-घोड़ा मंदिर, कदमा-सोनारी लिंक रोड, बर्मामाइंस सुनसुनिया गेट समेत कई ऐसे स्थान है जहां आए दिन हादसे होते रहते हैं. इसीलिए महिलाओं की इस रैली का सार्थकता को समझना चाहिए और इसे आम लोगों को न सिर्फ अपने स्तर पर आत्मसात करना चाहिए बल्कि दूसरों को भी जागरुक करने के लिए काम करना चाहिए.