धनेश कुमार। जमशेदपुर में टाटा मोटर्स और से अवकाश ग्रहण करने के बाद गोविंदपुर में रहते हुए खुद को समाज सेवा को समर्पित किया। धनेश बाबू मूल रूप से बिहार के नालंदा जिले के खुदागंज गांव के निवासी थे। आज उनकी पुण्यतिथि पर छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में एनएमडीसी मे कार्यरत उनके पुत्र रामकुमार ने इन शब्दों में उन्हें याद किया है।
पापा आज आप बहुत याद आ रहे हैं। आज ही के दिन ठीक 11 साल पहले आप इस दुनिया को छोड़ कर उस अनंत यात्रा पर प्रस्थान किए थे यहां से लौटकर कोई नहीं आता और नहीं किसी भी तरह से संवाद की गुंजाइश छोड़ता है।
पापा, आज का दिन हमारे समेत पूरे परिवार के लिए कितना भारी है इसका शब्दों में वर्णन नहीं कर सकते। हर साल जैसे-जैसे 13 फरवरी का दिन नजदीक आते जाता है, आपकी यादों के सागर हम डूबते जाते हैं। आज आपकी पुण्य तिथि है।
आप बहुत याद आ रहे हैं। आज आपकी कमी बहुत खल रही हैं। आप हमेशा यादों में बने रहेंगे। इन पंक्तियों के साथ आपको मेरी विनम्र श्रद्धांजलि।
कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता
कभी धरती तो कभी आसमान है पिता
जन्म दिया है अगर माँ ने
जानेगा जिससे जग वो पहचान है पिता….”“कभी कंधे पे बिठाकर मेला दिखता है पिता…कभी बनके घोड़ा घुमाता है पिता…माँ अगर मैरों पे चलना सिखाती है…तो पैरों पे खड़ा होना सिखाता है पिता…..”“कभी रोटी तो कभी पानी है पिता…कभी बुढ़ापा तो कभी जवानी है पिता…माँ अगर है मासूम सी लोरी…तो कभी ना भूल पाऊंगा वो कहानी है पिता….”“कभी हंसी तो कभी अनुशासन है पिता…कभी मौन तो कभी भाषण है पिता…माँ अगर घर में रसोई है…तो चलता है जिससे घर वो राशन है पिता….”“कभी ख़्वाब को पूरी करने की जिम्मेदारी है पिता…कभी आंसुओं में छिपी लाचारी है पिता…माँ गर बेच सकती है जरुरत पे गहने…तो जो अपने को बेच दे वो व्यापारी है पिता….”“कभी हंसी और खुशी का मेला है पिता…कभी कितना तन्हा और अकेला है पिता…माँ तो कह देती है अपने दिल की बात…सब कुछ समेत के आसमान सा फैला है पिता….”