कोरोना काल के 2 साल बाद सावन की पहली सोमवारी को शिवालयों में उमड़ा भक्तों का सैलाब

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देवघर: श्रावण मास की पहली सोमवारी को शिवालयों में श्रद्धालुओं तांता लगा रहा. रांची, देवघर, खूंटी समेत तमाम मंदिरों में कांवरियों की भीड़ पहुंचने लगी है. देवघर में बाबा का जलाभिषेक करने को लेकर भक्तों में काफी उत्साह है.
देवघर मंदिर में देश के अलग-अलग जगहों से कांवरिए जुट रहे हैं. बिहार के सुल्तानगंज से 105 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर बाबा भोलेनाथ पर जलाभिषेक करने को लेकर भक्त पहुंच रहे हैं. शहर की गली-गली में बोलबम का नारा गूंज रहा है. श्रावण मास की पहली सोमवारी को लेकर उत्साह देवघर में दिखने लगी है. कांवरिए बताते हैं कि 2 साल के लंबे अंतराल के बाद बाबा को जलाभिषेक करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है. इसको लेकर काफी उत्साह है.

श्रावण माह का सोमवार क्यों होता है खास
ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव की पहली पत्नी देवी सती ने जब अपने पिता के घर पर अपने पति शिव का अपमान होते देखा तो वह बर्दाश्त नहीं कर पाईं और राजा दक्ष के यज्ञकुंड में अपनी आहूति दे दी. इसके बाद उन्होंने हिमालय पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लिया. पार्वती के रूप में भी उन्होंने भगवान शिव को ही अपना वर चुना और उनकी प्राप्ति के लिए कठोर तप किया. सावन के महीने में ही भगवान शिव उनके तप से प्रसन्न होकर प्रकट हुए और उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया. इसके बाद पार्वती का भगवान शिव के साथ विवाह हुआ. तब से ये पूरा सावन माह शिव और पार्वती दोनों का प्रिय माह बन गया. सोमवार का दिन महादेव और मां पार्वती को समर्पित होता है, ऐसे में उनके प्रिय माह सावन में पड़ने वाले सोमवार का महत्व कहीं ज्यादा बढ़ जाता है. शिव भक्त सामान्यतः सोमवार का व्रत नहीं रखते, वो सावन के सोमवार का व्रत जरूर रखते हैं.

श्रावण मास के सोमवारी का महत्व
सावन में सोमवार का व्रत रखने से मनोवांछित कामना पूरी होती है. सुहागिन महिलाओं को सौभाग्यवती होने का आशीष प्राप्त होता है. साथ ही पति को लंबी आयु प्राप्त होती है. वहीं अगर कुंवारी कन्याएं ये व्रत रखें तो उन्हें सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है.

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