सनातन जीवन व संस्कृति का आधार है भागवत: आचार्य अनिल कृष्ण शास्त्री जी महाराज

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  • जमशेदपुर के सर्किट हाउस क्षेत्र में सरस्वती देवी और रामदया ओझा की ओर से भागवत कथा का आयोजन
  • पहले दिन स्वामी जी ने भागवत महात्मय पर डाला प्रकाश, शहर के गणमान्य लोगों ने लगाया अध्यात्म में गोता


जमशेदपुर: भागवत दिव्य ज्ञान की जननी है यह भक्ति, ज्ञान व वैराग्य का मिश्रण है यह भगवान वेदव्यास जी की ओर से संपूर्ण मानव जाति को दिया गया एक ऐसा वरदान है, जिससे सुखी जीवन जीने का मार्ग मिलता है. सनातन जीवन संस्कृति का मूल आधार है भागवत. यह विचार आचार्य अनिल कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने व्यक्त किये वे झारखंड की औद्योगिक राजधानी की पहचान रखने वाले जमशेदपुर शहर के सर्किट हाउस रोड नंबर 5 के बंगला संख्या 7 में श्रीमद् भागवत सप्ताह के शुभारंभ के अवसर पर व्यासपीठ से श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे.

धर्मवाहक परिवार से आने वाले समाजसेवी दंपती सरस्वती देवी और रामदया ओझा की ओर से आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पहले दिन आचार्य अनिल कृष्ण जी ने भागवत महात्मय पर प्रकाश डाला.

स्वामी जी ने कहा कि किसी चीज को पाना कठिन नहीं जितना प्राप्त वस्तु का सदुपयोग करना होता है. उन्होंने उदाहरण के साथ समझाया की व्यक्ती धन,संपति, बुद्धि, विद्या, पद व प्रतिष्ठा जैसी चीजें पुरूषार्थ और परिश्रम से प्राप्त कर कर लेता है पर उनके सदुपयोग के लिए सदबुद्धि, विवेक और दूरर्शिता की आवश्यकता होती है श्रीमद् भागवत के श्रवण से मुनष्य को ऐसे गुणों की प्राप्ति होती है.

श्रीमद् भागवत महापुराण के महात्मय पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए देश के प्रख्यात संत बह्मलीन त्रिदंडी स्वामी जी महाराज के अनुयायी अनिल कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने कहा कि श्रीमद भागवत महापुराण की कथा श्रवण करने मात्र से जीव का परलोक सुधर जाता है. स्वामी जी ने राज परिक्षित की कथा उल्लेख किया. राजा परिक्षित ने कलयुग के प्रभाव शांडिक ऋ षी के गले में मरा हुआ सांप डाल दिया था इससे क्रोधित होकर ऋ षी ने शाप दे दिया था जिसने भी दुस्साह किया उसे सातवें दिन तक्षक नाग डंस लेगा और उसकी मृत्यु हो जायेगी. इसी के बाद गंगा नदी के पावन तट पर राजा परिक्षित ने सात दिन तक श्रीमद् भागवत महापुराण की कथा का श्रवण किया था इसी से उनका परलोक सुधारा था और उन्हें स्वर्णलोक प्राप्ति हुई थी.

स्वामी जी ने कहा कि महापुराण की कथा को श्रवण करने के लिए धरती पर आने के लिए देवता भी तत्पर रहते हैं. इसके रसपान से जीव काल के कोप से भी बच जाता है.
उन्होंने कहा कि हमें अपना जीवन सफल बनाने के लिए भागवत कथा का श्रवण जरूर करना चाहिए. कथा में मिले ज्ञान को अपने जीवन उतारेंगे तो निश्चित ही हमारा जीवन सफल हो जायेगा.

कथा के बाद महाआरती कार्यक्रम हुआ जिसमें यजमान की भूमिका निभाने वाले विष्णुशंकर ओझा, शिवाकांत ओझा, विद्याधर ओझा व शक्तिधर ओझा समेत शहर के अनेक गणमान्य लोगों ने हिस्सा लिया. कथा हर दिन शाम 4 बजे से प्रारंभ होती है. इसका समापन 15 मई 2022 को होगा.

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