नई दिल्ली, 28 सितंबर 2023: हिंदू कैलेंडर के 7वें महीने, अश्विन मास, के आगमन के साथ ही भाद्रपद पूर्णिमा के बाद इस महीने का आरंभ होता है। इस महीने में पितृ पक्ष और शारदीय नवरात्रि का आयोजन होता है, जिसके पर्व समय-समय पर आपके सामने होंगे। यह महीना धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, और अगर आप इसके महत्व को समझना चाहते हैं, तो इस लेख को ध्यान से पढ़ें।
पितृ पक्ष: पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करें
अश्विन महीने की शुरुआत पितृ पक्ष से होती है, जिसका आयोजन भाद्रपद पूर्णिमा के बाद किया जाता है। इस अवसर पर पितृओं की पूजा और श्राद्ध किए जाते हैं, ताकि आप पितरों के आशीर्वाद प्राप्त कर सकें। इस महीने के पहले दिन, जिसे पितृ पक्ष के द्वितीया तिथि कहा जाता है, यह श्राद्ध का अधिक महत्वपूर्ण दिन होता है।
अश्विन महीने के व्रत और नियम
इस महीने में कुछ विशेष व्रत और नियमों का पालन करना भी महत्वपूर्ण होता है:
- आहार विचार: इस महीने में दूध, बैंगन, मूली, मसूर की दाल, चना आदि का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इन चीजों का सेवन वर्जित माना गया है।
- तामसिक आहार से बचें: अश्विन महीने में नॉनवेज, शराब, लहसुन, प्याज जैसी तामसिक चीजों का सेवन नहीं करें, क्योंकि यह पितृ परमेश्वरों और मां दुर्गा के कोप को आकर्षित कर सकता है।
- ब्रह्मचर्य का पालन: इस महीने में ब्रह्मचर्य का पालन करें, जिसका अर्थ है ब्रह्मचारी जीवन जीना, यानी संयमित और पवित्र जीवन व्यतीत करना।
- सादगी और शांति: इस महीने में किसी से बैर न रखें, ना ही किसी को अपशब्द कहें, धोखा दें। सादगी और शांति के साथ जीवन व्यतीत करने का प्रयास करें।
- दान-धर्म: इस महीने में दान-धर्म करना भी महत्वपूर्ण है। बिना इसके पूजा-पाठ का पूरा फल नहीं मिलता है, इसलिए दान करते समय यह ध्यान रखें कि आपका दान उसे पहुंचे, जिन्हें यह जरूरत है।
अश्विन महीने के इन नियमों का पालन करके, आप देवी-देवताओं और पितरों के आशीर्वाद को प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में खुशियों और समृद्धि की प्राप्ति कर सकते हैं।
यहां आपके जीवन को धन, सुख, और समृद्धि से भर देने के लिए इस महीने के धार्मिक आदर्श और महत्व का संक्षिप्त अवलोकन था। हम आपके लिए इस महीने के धर्मिक महत्व को बेहद महत्वपूर्ण मानते हैं, और हमें खेद है कि हम आपको इस आलेख के माध्यम से इसका महत्व सही तरीके से समझा सके।
ध्यान दें: इस आलेख में दी गई जानकारी केवल आपको सामान्य जागरूकता के लिए है और इसे किसी भी धार्मिक कार्य के रूप में न लें।