रामकुमार जी : ईमानदारी के पर्याय, सत्य व निष्ठा के वाहक

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चंद्रदेव सिंह राकेश

हिंदू पंचाग के अनुसार पितृ पक्ष का शनिवार 14 अक्टूबर को समापन हो रहा है. सनातन सिंधु परिवार पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष के अवसर पर कुछ ऐसी दिव्यात्माओं को आदर के साथ स्मरण कर रहा जिन्होंने अपने जीवन काल में सनातन धर्म व समाज की सेवा में उल्लेखनीय कार्य किये. ऐसे महापुरूष हमेशा हम सबके के लिए प्रेरणास्त्रोत बने रहेंगे. उनका नश्वर शरीर भले ही हमारे बीच नहीं है लेकिन ये अपने विराट व्यक्तित्त व कृतित्व से हमेशा समाज को आलोकित करते रहेंगे. उन्हें सनातन सिंधु परिवार की ओर से कोटि-कोटि नमन व भावभीनी श्रद्धांजलि. एक ऐसे ही समाजसेवी थे रामकुमार जी जो ताउम्र ईमानदारी व नैतिक मूल्यों के पर्याय रहे. उनके पुण्य कर्म इतने समृद्ध रहे कि उनकी विरासत विकास के पथ पर लगातार अग्रसर है.

राम कुमार जी का जन्म उत्तर प्रदेश के बस्ती जिला के ग्राम कड़सर में मार्च 1925 में हुआ था. पांच वर्ष की आयु में वे जमशेदपुर आ गये थे. उनका बचपन अत्यधिक गरीबी में बीता था. के एम पी एम स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने कलकत्ता से इन्टरमीडिएट और बनारस से स्नातक की डिग्री हासिल की थी.

पुन: कलकत्ता आकर उन्होंने कानून की पढ़ाई की थी. जनवरी 1950 से उन्होंने जमशेदपुर कोर्ट में वकालत प्रारम्भ किया था. वे जमशेदपुर कोर्ट के पहले हिन्दी भाषी वकील थे. वे अपना काम पूरी ईमानदारी और निष्ठा से करते थे और हर किसी को अपना काम पूरी ईमानदारी से करने की सलाह देते थे. उनका निधन 26 अगस्त 2004 को हो गया था.

यह उनके नेक कर्मो का ही प्रतिफल रहा कि उनका परिवार मेडिकल सेवा में एक प्रतिष्ठित परिवार की पहचान बना चुका है. वे हमेशा परिवार के सभी सदस्यों को निष्ठा व ईमानदारी के काम करने को कहते थे. गरीबी को मदद उनकी पहली प्राथमिकता हुआ करती थी क्योंकि उन्होंने गरीबी को नजदीक से देखा था. वे चाहते थे कि हर गरीब का न सिर्फ भला किया जाए बल्कि उसे गरीबी से बाहर निकालने में जितना हो सके मदद भी की जाए. वे हमेशा कहा करते थे कि पूरी निष्ठा व ईमानदारी से काम करना चाहिए. जब कोई ऐसा करने लगेगा तो इससे साख तो मजबूत होगी ही, नाम भी फैलेगा. इससे हर कोई काम कराने बार-बार आना चाहेगा।

रामकुमार जी के जीवन मंत्र को कई लोगों ने अपने जीवन में आत्मसात किया. इसका बहुत ही अच्छा नतीजा रहा. सफलता कदमों में आयी. उनके प्रेरित लोग अपने बच्चों को भी उनके बताए रास्ते पर चलने को प्रेरित करते हैं क्योंकि सत्यता व ईमानदारी के रास्ते पर चलकर जो संतोष मिलता है उससे जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का संचार होता है. यह प्रमाणित तथ्य है. प्रसन्नता की बात है कि रामकुमार जी की विरासत को इनके सुपुत्र डा. अरुण कुमार व दोनों पौत्र डॉ साकेत कुमार- डॉ स्नेहिल कुमार बखूबी आगे बढ़ा रहे हैं. पितृ पक्ष के अवसर पर सनातन सिंधु डॉट कॉम परिवार की ओर से रामकुमार जी की दिव्यात्मा को कोटि कोटि प्रणाम व विनम्र श्रद्धांजलि

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