भव्य राम मंदिर के लिए पुजारियों की भर्ती, जानें कैसे हो रहा चयन?

Share this News

अयोध्या: श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र में बन रहे भव्य राम मंदिर के उद्घाटन की तारीख के नजदीकी आते ही, मंदिर के पुजारियों का चयन भी गति से हो रहा है। ट्रस्ट ने 20 पुजारियों की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला था जिसमें से 3 हजार लोगों ने अप्लाई किया था। इसके बाद इंटरव्यू में शामिल होने वाले 200 कैंडिडेट्स का चयन किया गया है। चयनित पुजारियों को मंदिर की तैयारी के लिए 6 महीने की ट्रेनिंग दी जाएगी।

पुजारियों का चयन प्रक्रिया:

ट्रस्ट ने पुजारियों का चयन करने के लिए एक तीन-मेम्बर्स पैनल का गठन किया है, जिसमें वृंदावन के जयकांत मिश्रा और अयोध्या के महंत मिथिलेश नंदिनी शरण और सत्यनारायण दास शामिल हैं। चयनित 200 कैंडिडेट्स से शॉर्टलिस्ट किए गए हैं, जिन्हें ट्रेनिंग के बाद मंदिर के पुजारी बनाया जा सकता है।

पुजारियों की ट्रेनिंग:

इंटरव्यू के दौरान, पुजारियों से पूजा की प्रक्रिया, संध्या वंदन, मंत्रों पर फोकस करके तमाम कठिन सवाल पूछे गए हैं। चयनित 200 पुजारियों को 6 महीने तक कारसेवकपुरम में ट्रेनिंग दी जाएगी, जिसमें धार्मिक सिलेबस के अनुसार शिक्षा और दीक्षा दी जाएगी। इस दौरान पुजारियों को मुफ्त भोजन भी प्रदान किया जाएगा। यहां तक कि वे मासिक रूप से 2,000 स्टाइपेंड भी प्राप्त करेंगे।

मंदिर के भव्य सिंहासन की तैयारी:

मंदिर के भव्य सिंहासन का निर्माण भी तेजी से प्रगट है, जिसमें रामलला को समर्पित तीन फीट ऊंचे सिंहासन को तैयार किया जा रहा है। इस सिंहासन पर रामलला विराजमान किए जाएंगे। भव्य मंदिर में रामलला के विराजमान होने की तारीख बढ़ती जा रही है, जिससे श्रद्धालु बेताब हैं।

रामलला की मूर्ति की अद्वितीयता:

मंदिर के भीतर रामलला संगमरमर के स्वर्ण जड़ित 3 फीट ऊंचे ‘सिंहासन’ पर विराजमान होंगे जो कि आठ फीट लंबा, 4 फीट चौड़ा होगा। इसमें रामलला के साथ उनके छोटे भाई भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न और हनुमान भी समाहित होंगे। श्रीराम का बाल रूप भी दिखाई देगा। इसमें सोने, चांदी या अन्य कीमती धातु का इस्तेमाल कितनी मात्रा में हुआ है, यह अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन इससे भगवान राम की विशेष मूर्ति की अद्वितीयता की गरंटी दी जा रही है।

श्रीराम की अद्वितीय मूर्ति:

राम मंदिर के मूर्तिकारों ने दावा किया है कि भगवान राम का शास्त्रों में वर्णन ध्यान में रखकर उनका स्वरूप तैयार किया जा रहा है। इसमें श्रीराम के भाव, आचार्य विशेष, और शास्त्रीय पृष्ठभूमि का भी ध्यान रखा जा रहा है। इसमें श्रीराम का स्वरूप, भव्यता, और साकार रूप से ध्यान दिया जा रहा है। इसका दर्शन राम मंदिर में होने वाले निर्माण से पहले कहीं नहीं होगा, इससे यह मूर्ति अद्वितीयता की गरंटी प्रदान करेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *