बेंगलुरु: कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने मंदिरों से राजस्व इकट्ठा करने के कानून में परिवर्तन किया है, जिससे विवाद पैदा हो गया है। भाजपा ने इसे एक तरह के ‘जजिया’ के रूप में दिखाया है, जो मुसलमान शासन के समय धर्मनिरपेक्षता का प्रतीक था।
कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष विजयेंद्र ने सरकार को उनके ‘खाली खजाने’ भरने के लिए एक डोनेशन बॉक्स बाहर लगाने की सलाह दी है। भाजपा का कहना है कि सरकार मंदिरों के पैसे से अपना खाता भर रही है। इसके खिलाफ उन्होंने सरकार के नीति को आलोचना की है और इसे ‘जजिया’ कहा है। दरअसल, मुस्लिम शासन के समय गैर-मुस्लिम जनता से वसूला जाना वाला कर जजिया होता था. इसके बाद ही गैर-मुस्लिम लोग अपने धर्म का पालन कर सकते थे.
कांग्रेस सरकार के मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने बताया कि सरकार ने 10 लाख रुपये तक की आय वाले मंदिरों को धर्मिक परिषद से मुक्त कर दिया है। वे कहते हैं कि इस से केवल मंदिरों के पुजारियों को ही लाभ होगा, जिनमें से कई की हालत खराब है।
इसके साथ ही, सरकार का कहना है कि इस नए नियम से पुजारियों के परिवारों को भी लाभ होगा। अगर किसी परिवार के सदस्य को कुछ होता है तो उन्हें आधुनिक विमा कवर मिलेगा। इस विवाद के बीच, भाजपा ने कहा कि कांग्रेस सरकार धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है और मंदिरों पर टैक्स लेने की बजाय सरकार को अपने खाली खजाने को भरने की चाहिए। कांग्रेस पार्टी के नेता सिद्धारमैया ने इस आरोप को खारिज किया है और कहा है कि भाजपा लोगों को गुमराह कर रही है। वे कहते हैं कि इस नियम का उद्देश्य सिर्फ धार्मिक संस्थानों के विकास को सुनिश्चित करना है।
मंदिरों से जुड़ा टैक्स क्या है?
- पहले जान लीजिए कि कर्नाटक में करीब 3500 मंदिर हैं. A श्रेणी में आने वाले 205 मंदिरों की सालाना आय 25 लाख रुपये से ज्यादा है. B श्रेणी के 193 मंदिरों की आय 5 से 25 लाख रुपये के बीच है. तीसरे C स्तर पर आने वाले 3 हजार मंदिरों की आय 5 लाख रुपये से कम है.
- कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम-1997 एक मई 2003 को ही लागू हुआ था.
- ‘सी’ श्रेणी में आने वाले 3000 मंदिरों से ‘धार्मिक परिषद’ को कोई पैसा नहीं मिलता है.
- धार्मिक परिषद तीर्थयात्रियों के हित में मंदिर प्रबंधन में सुधार करने वाली एक समिति है.
- 5 से 25 लाख रुपये के बीच की आय वाले मंदिरों से आय का पांच प्रतिशत 2003 से धार्मिक परिषद को जा रहा है.
- कांग्रेस सरकार के मंत्री ने बताया कि अब हमने 10 लाख रुपये तक आय वाले मंदिरों को धार्मिक परिषद को भुगतान करने से मुक्त कर दिया है.
- हां, ऐसे मंदिरों से 5 प्रतिशत राशि वसूलने का प्रावधान किया है जिनकी आय 10 लाख रुपये से एक करोड़ रुपये के बीच है.
- जिन मंदिरों की आय एक करोड़ रुपये से अधिक है, उनसे 10 प्रतिशत राजस्व वसूला जायेगा. यह सारी राशि धार्मिक परिषद तक पहुंचेगी.
मंदिर से टैक्स लेने की जरूरत क्या है?
- कर्नाटक सरकार का कहना है कि राज्य में 40,000 से 50,000 पुजारी हैं. राज्य सरकार उनकी मदद करना चाहती है. अगर यह धनराशि धार्मिक परिषद तक पहुंचती है तो हम उन्हें बीमा कवर दे सकते हैं. सरकार चाहती है कि अगर उनके साथ कुछ होता है तो परिवारों को कम से कम पांच लाख रुपये मिले. प्रीमियम का भुगतान करने के लिए सरकार को सात से आठ करोड़ रुपये की आवश्यकता है.
- मंत्री ने कहा है कि सरकार मंदिर के पुजारियों के बच्चों को छात्रवृत्ति देना चाहती है, जिसके लिए सालाना पांच से छह करोड़ रुपये की आवश्यकता है.
- इस पूरी राशि से केवल मंदिर के पुजारियों को फायदा होगा, जिनमें से कई की हालत खराब है.
- सरकारी सूत्रों ने यह भी कहा है कि विधेयक का उद्देश्य ‘ए’ श्रेणी में शामिल मंदिरों के अधिकार क्षेत्र में तीर्थयात्रियों को सुविधाएं और सुरक्षा प्रदान करना है.