रामकुमार जी : मेरे पिता जिनसे सीखी ईमानदारी ने दिलाई पद-पहचान व बहुत कुछ

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हिंदू पंचाग के अनुसार पितृ पक्ष का आज समापन हो रहा है। मान्यता है कि आश्विन कृष्ण पक्ष में पितर लोग अपने लोक से पृथ्वी वोक पर आते हैं। इस दौरान उनके सम्मान में तर्पण-श्राद्ध किया जाता है।

सनातन सिंधु परिवार पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष के अवसर पर कुछ ऐसी दिव्यात्माओं को आदर के साथ स्मरण कर रहा जिन्होंने अपने जीवन काल में सनातन धर्म व समाज की सेवा में उल्लेखनीय कार्य किये।

ऐसे महापुरूष हमेशा हम सबके के लिए प्रेरणास्त्रोत बने रहेंगे. उनका नश्वर शरीर भले ही हमारे बीच नहीं है लेकिन ये अपने विराट व्यक्तित्त व कृतित्व से हमेशा समाज को आलोकित करते रहेंगे. उन्हें सनातन सिंधु परिवार की ओर से कोटि-कोटि नमन व भावभीनी श्रद्धांजलि।

मेरे पिता जी श्री राम कुमार जी का जन्म उत्तर प्रदेश के बस्ती जिला के ग्राम कड़सर में मार्च 1925 में हुआ था। पांच वर्ष की आयु में वे जमशेदपुर आ गये थे। उनका बचपन अत्यधिक गरीबी में बीता था।

के एम पी एम स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने कलकत्ता से इन्टरमीडिएट और बनारस से स्नातक की डिग्री हासिल की थी। पुन: कलकत्ता आकर उन्होंने कानून की पढ़ाई की थी।

जनवरी 1950 से उन्होंने जमशेदपुर कोर्ट में वकालत प्रारम्भ किया था। वे जमशेदपुर कोर्ट के पहले हिन्दी भाषी वकील थे। वे अपना काम पूरी ईमानदारी और निष्ठा से करते थे और हम सब को भी अपना काम पूरी ईमानदारी से करने की सलाह देते थे। उनका निधन 26 अगस्त 2004 को हो गया था।

मेरा मेडिकल सेवा में होना पिताजी के पुण्य प्रताप का ही प्रतिफल है। वे हमेशा परिवार के सभी सदस्यों को निष्ठा व ईमानदारी के काम करने को कहते थे। गरीबी को मदद उनकी पहली प्राथमिकता हुआ करती थी क्योंकि उन्होंने गरीबी को नजदीक से देखा था।

वे चाहते थे कि हर गरीब का न सिर्फ भला किया जाए बल्कि उसे गरीबी से बाहर निकालने में जितना हो सके मदद भी की जाए। वे हमसे हमेशा कहा करते थे कि तूम को पैथोलाजिस्ट बन रहा। जब जांच करने बैठना तो पूरी निष्ठा व ईमानदारी से काम करना।

जब तूम ऐसा करने लगोगे तो इससे साख तो मजबूत होगी ही, नाम भी फैलेगा। इससे हर कोई जांच कराने तुम्हारे पास ही आना चाहेगा।

मैंने अपने पेशेवर जीवन में पिताजी से मिली सीख को आत्मसात किया। इसका बहुत ही अच्छा नतीजा मेरे लिए रहा। पिताजी के बताये रास्ते पर चल कर आज मैं जमशेदपुर नगर में एक सफल पैथोलौजिस्ट बन गया हूं।

बच्चों को भी उनके ही बताए रास्ते पर चलने को प्रेरित करता हूं क्योंकि सत्यता व ईमानदारी के रास्ते पर चलकर जो संतोष मिलता है उससे जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का संचार होता है। यह प्रमाणित तथ्य है।

सादर प्रमाण पिताजी। आपकी पुण्यात्मा को कोटि कोटि नमन।
आपका ही बेटा
डा. अरुण कुमार

दोनों पौत्र बढ़ा रहे आपकी विरासत

ये हैं

डॉ साकेत कुमार
एम॰बी॰बी॰एस, एम॰डी।

डॉ स्नेहिल कुमार
एम॰बी॰बी॰एस, एम॰डी।

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