जानिए छठ पर इस शहर में क्यों छोड़े जाते 7 घोड़े, क्यों की जाती खास पूजा

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बनारस से शैलेश कुमार

वैसे तो भगवान सूर्य की उपासना के पर्व डाला छठ में अस्ताचलगामी और अगले दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा अर्चना की जाती है, लेकिन यूपी के चंदौली में भगवान सूर्य के साथ ही उनकी सवारी घोड़े का भी पूजन करने का विधान है। 


उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के दीनदयालनगर में मानसरोवर तालाब स्थित सूर्य मंदिर के पास सूर्य देव की सवारी घोड़ों की पूजा की जाती है। छठ पर्व के दौरान सात घोड़े छोड़े जाते हैं जो पूरे नगर में भ्रमण करते हैं और छठ व्रती महिलाओं के घरों तक जाते हैं। जहां व्रती महिलाएं इन घोड़ों की आरती उतारती हैं और साथ ही साथ चना और गुड़ खिलाकर आशीर्वाद मांगती हैं। 


मान्यता है कि डाला छठ के दौरान नगर भ्रमण पर निकले इन घोड़ों के पांव जहां भी पड़ते हैं। वह स्थान पवित्र हो जाता है। 
दिवाली के ठीक छह दिन बाद मनाए जाने वाले छठ पर्व का हिंदू धर्म में विशेष स्थान है। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को सूर्य षष्ठी का व्रत करने का विधान है। 


ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से की गई इस पूजा से भक्तों  की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. इसे करने लोग धन-धान्य, संतान सुख तथा सुख-समृद्धि से परिपूर्ण रहते हैं। साथ ही भगवान सूर्य की सवारी घोड़े की पूजा करने से उनका व्रत सफल होता है। 


इस उद्देश्य से छठ के महापर्व के दौरान 7 घोड़ों को नगर भ्रमण कराने की शुरुआत सन 2006 में हुई थी। उसके बाद से हर साल छठ पूजा के दौरान इन घोड़ों को सजाकर नगर भ्रमण कराया जाता है।

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