महाशिवरात्रि कल, जानिए क्या है महाव्रत का महत्व, क्या मिलता फल

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रानी अग्रवाल
शिव उपासना का सबसे बड़ा पर्व यानी महाशिवरात्रि कल मंगलवार एक मार्च 2022 को है. इसलिए इसकी तैयारी आज ही कर लें. ताकि पूरे विधि विधान से सहज तरीके से भगवान भोले शंकर की उपासना कर सकें.

महाशिवरात्रि व्रत परम मंगलमय और दिव्यतापूर्ण है. इसे करने से लाभ ही लाभ होता है. इससे सदा सर्वदा भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है. महाशिवात्रि व्रत को व्रतराज कहा गया है. इसके करने से चारों पुरूषार्थो यानी धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
कितने साल तक करना चाहिए महाशिवरात्रि व्रत : विद्वानों. संतों व घर से बुजुर्गों से सुनते आए हैं कि हर सनातनी को महाशिवरात्रि व्रत को जीवन भर करना चाहिए. फिर भी यदि किसी कारण से ऐसा करना संभव नहीं हो पा रहा हो तो 14 वर्ष करने के उपरांत उसका पूरे विधि विधान के साथ उद्यापन कर देना चाहिए.

महाशिवरात्रि के व्रत के बारे में भिन्न-भिन्न मत हैं, परन्तु सर्वसाधारण मान्यता के अनुसार जब प्रदोष काल रात्रि का आरंभ एवं निशीथ काल (अद्र्धरात्रि) के समय चतुर्दशी तिथि रहे उसी दिन शिवरात्रि का व्रत होता है.
ऐसा कहा गया है कि यह व्रत प्रात: काल से चतुर्दशी तिथि रहते रात्रि पर्यन्त तक करना चाहिए. रात्रि के चारों प्रहरों में भगवान शंकर की पूजा अर्चना करनी चाहिए. इस विधि से किए गए व्रत से जागरण-पूजा-उपवास तीनों पुण्य कर्मों का एक साथ पालन हो जाता है और भगवान शिव की विशेष अनुकंपा प्राप्त होती है.
महाशिवरात्रि व्रत करने से व्यक्ति जन्मांतर के पापों से मुक्त होता है. इस लोक में सुख भोगकर व्यक्ति अन्त में शिव को प्राप्त करता है. श्रद्धा व विश्वास पूर्वक व्रत का आचरण करने से भगवान शिव की कृपा से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. जो लोग पूरे विधि विधान से व्रत करने में असमर्थ हों वे रात्रि के आरंभ में तथा अर्द्धरात्रि में भगवान शिव का पूजन करके व्रत पूर्ण कर सकते हैं.
यदि इस विधि से भी व्रत करने में असमर्थ हों तो पूरे े दिन व्रत करके सांयकाल में भगवान शंकर की यथाशक्ति पूजा अर्चना करके व्रत पूूर्ण कर सकते हैं. इस विधि से व्रत करने से भी भगवान शिव की कृपा से जीवन में सुख ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.
शिवरात्रि में संपूर्ण रात्रि जागरण करने से महापुण्य फल की प्राप्ति होती है. गृहस्थ जनों के अलावा सन्यासी लोगों के लिए महाशिवरात्रि की साधना एवं गुरुमंत्र दीक्षा आदि के लिए विशेष सिद्धिदायक मुहूर्त होता है।

अपनी गुरु परंपरा के अनुसार सन्यासी जन महाशिवरात्रि में साधना करते हैं. महाशिवरात्रि की रात्रि महा सिद्धिदात्री होती है. इस समय में किए गए दान पुण्य शिवलिंग की पूजा स्थापना का विशेष फल प्राप्त होता है. इस सिद्ध मुहूर्त में पारद अथवा स्फटिक शिवलिंग को प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान के बाद अपने घर में अथवा व्यवसाय स्थल या कार्यालय में स्थापित करने से घर परिवार व्यवसाय और नौकरी में भगवान शिव की कृपा से विशेष उन्नति एवं लाभ की प्राप्ति होती है. परमदयालु भगवान शंकर प्रसन्न होकर मनोवांछित फल प्रदान करते हैं. अटके हुए मंगल कार्य सम्पन्न होते है….कन्याओं की विवाह बाधा दूर होती है

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