आचार्य मुन्ना पाठक
हमारे सनातन धर्म में ऐसी मान्यता है कि जो भक्त हर महीने की शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना के लिए समय नहीं निकाल पाता है तो उसके लिए महाशिवरात्रि के दिन शिवजी की पूजा करने का विशेष अवसर होता है. इस साल महाशिवरात्रि एक मार्च मंगलवार को है.
महाशिवरात्रि के दिन आप किसी भी मंदिर में जाकर पूजा अर्चना कर सकते हैं. घर पर भी पूरे विघि विधान के साथ पूजा का आयोजन कर सकते हैं.
तो आइए जानते हैं कि महाशिवरात्रि के दिन कैसे करनी चाहिए भगवान शिव की पूजा-अर्चना .
सुबह में स्नान करके स्वच्छ वस्त्र का धारण करना चाहिए. हो सके तो रुद्राक्ष की माला को धारण करना चाहिए. इसके बाद पूजा की थाल को सजा लेना चाहिए. उसमें शिव पूजा से संबंधित पूजन सामग्री होनी चाहिए
पूजन सामग्री : शिव की मूर्ति या शिवलिंगम या शिव परिवार की फोटो , अबीर गुलाल, चन्दन ( सफ़ेद ) अगरबत्ती धुप ( गुग्गुल ) बेलपत्र, तुलसी, दूर्वा, चावल, पुष्प, फल, पान-सोपारी, पंचामृत, आसन, कलश, दीपक, शंख, घंट आदि।
मंदिर या घर पर शिव पूजा करते समय इन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
कैसे करें पूजा का शुभारंभ
सबसे पहले पूजा स्थल पर सामग्री की थाल रख लें. फिर आसन बिछाएं. प्रात: बेला में पूजा अर्चना कर रहे हैं तो पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे, यदि शाम के समय पूजा कर रहे हैं तो पश्चिम दिशा की ओर मुंह और रात में कर रहे हों तो उत्तर दिशा में मुंह होना चाहिए.
अब सबसे सबसे पहले आचमन करना चाहिए. बाद में खुद के ललाट पर तिलक करना चाहिए,
आचमन मंत्र
ओम केशवाय नम:। ओम नारायणाय नम:। ओम माधवाय नम: ।
तीनों बार जल हाथ में लेकर पीना चाहिए और बाद में ओम गोविन्दाय नम: बोलकर हाथ धो लेना चाहिए.
बाद में बायें हाथ में जल लेकर दाये हाथ से उस जल को अपने मुंह, कान, आंख, नाक, नाभि, ह्रदय और मस्तक पर लगाना चाहिए और बाद में ओम नमो भगवते वासुदेवाय बोल कर खुद के चारों और जल के छीटे डालने चाहिए. इसके बाद तिलक लगाना चाहिए. इसके बाद विभिन्न देवी-देवताओं को नमस्कार करना चाहिए.
नमस्कार मंत्र :
ओम श्री गणेशाय नम:
ओम इष्ट देवताभ्यो नम:
ओम कुल देवताभ्यो नम:
ओम ग्राम देवताभ्यो नम:
ओम स्थान देवताभ्यो नम:
ओम सर्वेभ्यो देवेभ्यो नम:
ओम गुरुवे नम:
ओम माता पिता भ्याम नम:
ओम शांति-शांति -शांति.
गणपति पूजन
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि सम प्रभ:
निर्विघम कुरुमे देव: सर्वकार्येशु सर्वदा.
संकल्प
संकल्प करने के बाद बायें हाथ में चावल रख कर दायां हाथ ऊपर ढके फिर भगवान का स्मरण कर चावल को अपने चारों ओर डालें.
वरुण पूजन
वरुण भगवान का स्मरण कर कलश के जल में चंदन-पुष्प डालें और कलश में से थोडा जल हाथ में लेकर पूजन सामग्री और खुद पर वो जल के छीटे डालें.
इसके बाद दीप पूजन, शंख पूजन, घंट पूजन करना चाहिए. इसके बाद देवी-देवताओं का ध्यान करना चाहिए. इसके उपरांत भगवान शिव का ध्यान करें. फिर शिव जी को आसन अर्पण करें. फिर शिवजी को जल से पखारें. अब शिवजी को जल, पुष्प, फल का अघ्र्य दें. फिर पंचामृत स्नान कराएं. अब जल का स्नान कराएं. इसके बाद चंदन, अबीर-गुलाल, भस्म और पुष्प आदि चढ़ाएं. तत्पश्चात शिवजी को कोई चढ़ा हुआ पुष्प लेकर अपनी आंख से स्पर्श कराकर उत्तर दिशा की ओर फेंक दें फिर हाथ धोकर फिर से चंदन-पुष्प चढ़ाएं.
अब शिवलिंग या प्रतिमा को स्वच्छ जल से स्नान कराकर उनके स्थान पर विराजमान करवाएं. अब उन्हें वस्त्र अर्पण कराएं. फिर जनेऊ अर्पित करें. इसके बाद चंदन लगाएं. फिर अक्षत चढ़ाएं. अब पुष्प अर्पित करें. बेलपत्र चढ़ाएं, शमी चढ़ाएं, दूब चढ़ाएं, शिवजी को माला चढ़ाएं. फिर अबीर-गुलाल चढ़ाएं. हो सके तो अलंकार और आभूषण अर्पित करें. सुगंधित इत्र चढ़ाएं. इसके बाद सुगंधित धूप जलाएं. दीप जलाएं इसके बाद नैवेद्य चढ़ाएं.
अब भोले भंडारी को भोग अर्पित करें। फिर भोले भंडारी को पान-सुपारी का अर्पण करें. इसके बाद दक्षिणा निकालें. अब आरती की बारी आती है. भोले भंडारी का विधिवत आरती करें. आरती पूरी होने के बाद दीपक के चारों ओर जल की धारा दें और फिर उसपर पुष्प चढ़ाएं और भगवान आरतीं दें. इसके बाद खुद आरती लेकर हाथ धो लें। अब पुष्पांजलि अर्पित करें. अंत में प्रदक्षिणा करें. इसके उपरांत कोई भक्त यदि भगवान शिव के किसी मंत्र या स्रोत का पाठ करता है तो उसे अवश्य ही शिव कृपा प्राप्त होती है.
शिवजी की पूजा के समय इन बातों का रखें खास ध्यान
माता पार्वती का पूजन अनिवार्य रुप से करना चाहिये अन्यथा पूजन अधूरा रह जायेगा, शिवलिंग पर चढाया हुआ प्रसाद ग्रहण नहीं किया जाता, सामने रखा गया प्रसाद अवश्य ले सकते हैं. शिवमंदिर की आधी परिक्रमा ही की जाती है।