250 साल से ज्यादा समय से चल रही भारतीय सैनिकों की भर्ती प्रक्रिया को हमेशा के लिए बदला जा सकता है. साथ ही यह भी संभव है कि सेना में 250 सालों से चली आ रही जाति, धर्म या इलाके के आधार पर बनने वाली इंफेंट्री रेजिमेंट्स की तस्वीर पूरी तरह से बदल जाए. संभावना है कि सरकार इसी सप्ताह सैनिकों की भर्ती की नई योजना की शुरुआत कर सकती है जो भारतीय सेना में बहुत बड़ा बदलाव लाएगी.
सिर्फ 4 साल के लिए होगी भर्ती
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक इस नई योजना की घोषणा इसी सप्ताह होगी और इसे अग्निपथ का नाम दिया गया है. इसके तहत सेना में केवल 4 साल के लिए सैनिकों की भर्ती की जाएगी और ये सैनिक अग्निवीर कहलाएंगे. इन सैनिकों को मौजूदा 9 महीने की जगह केवल 6 महीने की ट्रेनिंग दी जाएगी और उसके बाद ये साढ़े तीन साल के लिए सेना में सेवा देंगे यानी भर्ती से लेकर रिटायर होने के बीच 4 साल सेना की नौकरी होगी.
सर्विस के दौरान इन सैनिकों को लगभग 30000 रुपये प्रति महीने वेतन मिलेगा जो सैनिकों को मिलने वाले मौजूदा वेतन से ज्यादा है. सर्विस के दौरान हर महीने सैनिक के वेतन का एक हिस्सा काटकर उसे जमा रखा जाएगा. सरकार भी उतनी ही रकम सैनिक के खाते में जमा कराएगी. ये रकम जो 10-11 लाख होगी उसे रिटायरमेंट के समय एकमुश्त मिलेगी.
25 फीसदी को मिलेगा स्थाई नौकरी का मौका
सैनिक को रिटायर होने के बाद कोई पेंशन नहीं मिलेगी. सैनिक को सेवा के दौरान आईटीआई जैसे व्यावसायिक कोर्स भी करने का मौका मिलेगा जिनकी उसे रिटायर होने के बाद नई नौकरी में जरूरत होगी. रिटायर्ड सैनिक को कार्पोरेट सेक्टर में नई नौकरी के लिए बड़ी कंपनियों से संपर्क किया जा रहा है और महिंद्रा सहित कई कंपनियों ने तकनीकी रूप से प्रशिक्षित अग्निवीरों में दिलचस्पी दिखाई है. इन सैनिकों में से 25 प्रतिशत को उनके प्रदर्शन के अनुसार सेना में स्थाई नौकरी का मौका भी दिया जाएगा.
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विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से सेना को युवा रखने में मदद मिलेगी. हर साल पुराने सैनिकों में से ज्यादातर सेना से रिटायर हो जाएगें और नए युवा सैनिकों को मौका मिलेगा. भारतीय सेना की तादाद लगभग 13 लाख है और इनमें बड़ी तादाद नीचे के रैंक के सैनिकों की है. इन्हीं सैनिकों पर सैनिक कार्रवाइयों की जिम्मेदारी होती है.
नियमों में होंगे बड़े बदलाव
मौजूदा भर्ती प्रक्रिया में सैनिकों को उनके रैंक के हिसाब से 40 या उससे भी ज्यादा उम्र में रिटायर किया जाता है. लेकिन इस तरह सेना में युवा सैनिकों की नई भर्ती नहीं हो पाती और सैनिकों की औसत उम्र भी बढ़ जाती है. नई प्रक्रिया से इस समस्या से निपटने में मदद मिलेगी. साथ ही अब रेजिमेंट्स में भर्ती अखिल भारतीय स्तर पर की जाएगी. अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही भर्ती प्रक्रिया में कुछ खास जातियों या धर्मों को सेना की भर्ती में प्राथमिकता दी जाती थी. अब भर्ती में इस तरह की लड़ाकू जातियों को प्राथमिकता को भी खत्म किया जा सकता है.