दाऊद की संपत्ति की बोली लगाने वाले का क्या होता है हश्र? एक खरीदार की आपबीती

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5 जनवरी को एक बार फिर दाऊद इब्राहिम की संपत्तियों की नीलामी होने जा रही है। आशा है कि कुछ व्यक्ति इन संपत्तियों पर बोली लगाने के लिए आएंगे। इन व्यक्तियों का मकसद यह है कि वे अपने आपको देशभक्त साबित करें और दुनिया को यह साबित करें कि वे दाऊद के नाम से नहीं डरते। इस प्रकार की नीलामी से कई लोगों को खुद को प्रस्तुत करने का एक अवसर भी मिलता है, क्योंकि राष्ट्रीय मीडिया इसमें बहुत रुचि लेता है। दाऊद की संपत्तियों की नीलामी का कार्यक्रम अब से 25 साल पहले शुरू हुआ था। दिसंबर 2000 में इनकम टैक्स विभाग ने पहली बार दाऊद की संपत्ति की नीलामी की थी, लेकिन दाऊद के डर के कारण कोई भी बोली लगाने वाला नहीं आया।

दिसंबर 2000 में हुई नीलामी में किसी भी व्यक्ति ने बोली लगाने का प्रयास नहीं किया।

कोलाबा के डिप्लोमेट होटल में हुई उस नीलामी में दाऊद की 11 संपत्तियाँ बोली गई थीं, जिनके बारे में अखबारों में विज्ञापन छपे गए थे। इनकम टैक्स के अधिकारी होटल के हॉल में 2 घंटे तक बैठे रहे, लेकिन कोई भी बोली लगाने के लिए नहीं आया। हालांकि दाऊद मुंबई से मीलों दूर कराची में बैठा हो सकता है, लेकिन मुंबई में उसका भय अभी भी है। उसके डर के कारण, कोई भी व्यक्ति दाऊद की संपत्ति पर बोली लगाने नहीं आया। शहर के एक प्रमुख क्षेत्र में संपत्ति के कौड़ियों के दाम मिल रहे थे, फिर भी कोई खरीददार नहीं मिला, इससे यह सवाल उठता है कि इसके पीछे क्या कारण हो सकता है।

2001 की नीलामी में, दाऊद की संपत्ति को खरीदा गया था, लेकिन अब तक कब्जा नहीं मिला।

इसके बाद, दिल्ली के एक शिव सैनिक, अजय श्रीवास्तव, ने संपर्क किया और बताया कि उन्होंने इस खबर को पढ़ा है। श्रीवास्तव ने पहले ही एक पिच खोद डाली थी, जो दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में बालासाहेब ठाकरे के ऐलान के बाद बनाई गई थी, ताकि पाकिस्तानी क्रिकेट खिलाड़ी वहां मैच नहीं खेल सकें। श्रीवास्तव, जो एक वकील भी थे, कहा कि जब भी अगली नीलामी होगी, तो वह मुंबई आकर दाऊद की संपत्ति पर बोली लगाने के लिए तैयार हैं। यह उनका निजी फैसला था और इसमें शिवसेना का कोई योगदान नहीं था।

मार्च 2001 में हुई अगली नीलामी में, अजय श्रीवास्तव एकमात्र बोली लगाने वाले थे। उन्होंने नागपाड़ा के जयराजभाई गली में दाऊद की दो दुकानों पर बोली लगाई और उन्हें खरीद लिया। यद्यपि कागज़ी रूप से वह दोनों दुकानों के मालिक बन गए थे, लेकिन आज तक अजय श्रीवास्तव ने उन दुकानों का कब्जा नहीं किया है। उन्हें उसे सिर्फ एक बार ही देखा जा सका, वह भी कड़े पुलिस बंदोबस्त के साथ।

अजय श्रीवास्तव ने कब्जा हासिल करने के लिए लघुवाद न्यायालय में मुकदमा दायर किया था, जिसमें दाऊद की बहन हसीना पारकर प्रतिवादी थी। पहले तो कई तारीखों पर पारकर की तरफ से कोई अदालत में आया ही नहीं, लेकिन जब अदालत ने चेतावनी दी कि वो “एक्स पार्टी” (एकतरफा) आदेश देगी, तो हसीना के वकीलों ने आना शुरू किया। 2011 में श्रीवास्तव ने मुकदमा जीत लिया।

इसके बावजूद, आज तक संपत्ति का कब्जा उन्हें नहीं मिल पाया है और वे अदालतों के चक्कर लगाए हुए हैं। लघुवाद न्यायालय के आदेश के बाद, दाऊद की बहन ने बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी। 6 जुलाई 2014 को हसीना पारकर की मृत्यु हो गई और उसके बाद हसीना के बच्चे मुकदमा आगे बढ़ रहे हैं।

अजय श्रीवास्तव को डी कंपनी से आए धमकीभरे फोन

इस बीच, अजय श्रीवास्तव को डी – कंपनी की तरफ से धमकी भरे फोन भी मिले। एक बार दाऊद के रिश्तेदारों ने भी उसके सामने पेशकश की कि वह पैसे लेकर संपत्ति पर अपना दावा छोड़ दें, लेकिन अजय श्रीवास्तव ने इस पेशकश को नकारा दिया। वह आज भी मुकदमा लड़ रहे हैं।

संपत्ति का नीलाम होना दाऊद के रूतबे पर एक प्रहार था और यदि इस पर से कब्जा हट जाता है, तो डी कंपनी के लिए यह बेइज्जती वाली घटना हो सकती है। श्रीवास्तव ने एक बार संपत्ति को मुंबई पुलिस को भी दान करने की पेशकश की, लेकिन मुंबई पुलिस ने इसे लेने से मना कर दिया।

2021 में हुई नीलामी में दाऊद का पुश्तैनी घर भी खरीदा गया, लेकिन अब तक इस पर कब्जा हासिल नहीं हुआ है। साल 2021 में फिर एक बार तस्करी विरोधी कानून सफेमा के तहत जब्त की गई दाऊद की संपत्तियों की नीलामी में, रत्नागिरी जिले के मुंबके गांव में दाऊद के पुश्तैनी घर को भी लिस्ट किया गया था। अजय श्रीवास्तव ने फिर एक बार इस संपत्ति पर बोली लगाई और जीत गए। इस बार भी उन्हें संपत्ति का कब्जा हासिल नहीं कर पाए, क्योंकि सरकारी विभाग की ओर से तैयार किए गए कागजातों में कुछ गड़बड़ियां थीं, जिसकी वजह से संपत्ति का रजिस्ट्रेशन उनके नाम पर नहीं हो पाया। इसके बाद कई भागदौड़ के बाद, गड़बड़ियां सही की गई हैं और अब श्रीवास्तव को उम्मीद है कि जल्द ही संपत्ति का रज

पीयूष जैन ने भी दाऊद की संपत्ति को खरीदने का प्रयास किया है, लेकिन उन्हें भी अदालती जंग का सामना करना पड़ रहा है। 20 सितंबर 2001 को हुई नीलामी में, उन्होंने ताड़देव इलाके की एक दुकान पर बोली लगाई थी। इस दुकान का नाम ‘उमेरा इंजीनियरिंग वर्क्स’ है और इसका क्षेत्रफल 144 वर्गफिट है।

हालांकि, नीलामी जीतने के बावजूद, उनकी संपत्ति आज तक उनके नाम पर नहीं हो सकी है। डी कंपनी की तरफ से उनको कोई धमकी नहीं दी गई है, लेकिन इस बार महाराष्ट्र सरकार के कारण उनकी स्थिति मुश्किल हो गई है। महाराष्ट्र सरकार ने नीलामी में उनकी खरीदी गई संपत्ति पर आपत्ति जताई है और कहा है कि उस संपत्ति की देनदारी महाराष्ट्र सरकार को है। इसके कारण, उन्हें अपने कब्जे में लेने में समस्या आ रही है। जैन बंधुओं ने इस पर मुंबई हाई कोर्ट में याचिका दायर की है, और अब उन्हें अदालत के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।

5 जनवरी को देखा जाएगा कि कितने लोग दाऊद की संपत्तियों पर बोली लगाने आते हैं…

अब एक बार फिर दाऊद की संपत्ति नीलामी हो रही है। इस बार की नीलामी में दाऊद की मां अमीना बी के नाम रत्नागिरी जिले की चार संपत्तियों की नीलामी होगी, जिनकी कुल कीमत 19 लाख रुपये के करीब है। नीलाम की जा रही संपत्ति कृषि भूमि है। साल 2017 में मुंबई में भी दाऊद की डांबरवाला बिल्डिंग की संपत्ति की नीलामी हुई थी, जिसमें दाऊद का भाई इकबाल कासकर रहता था। इस बार कितने लोग दाऊद की संपत्तियों पर बोली लगाने आते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा। यह प्रदर्शन करेगा कि कितने लोग वास्तव में संपत्ति खरीदना चाहते हैं और कितने लोग सिर्फ स्वप्रचार के लिए नीलामी में शामिल होते हैं।

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